बेचारे नवीन बाबू सोच रहे होंगे कि अगला कौन होगा: कांग्रेस

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 3अगस्त। बीजू जनता दल (बीजद) की वरिष्ठ नेता ममता मोहंता के राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। शुक्रवार को कांग्रेस ने इसे “क्षेत्रीय दल बनाम भाजपा का असली चेहरा” करार दिया और कहा कि बीजद अध्यक्ष नवीन पटनायक सोच रहे होंगे कि “अगला कौन होगा।”

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बीजद और भाजपा के संबंधों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि बीते 20 वर्षों से अधिक समय से बीजद और भाजपा “एक ही सिक्के के दो पहलू हैं” जो एक-दूसरे के साथ रहते हैं और एक-दूसरे का प्रतिद्वंद्वी होने का आभास देते हैं। रमेश ने उल्लेख किया कि नवीन पटनायक ने यह सुनिश्चित किया कि भाजपा नेता अश्विनी वैष्णव दो बार राज्यसभा के लिए निर्वाचित हों।

बीजद का भाजपा की ओर झुकाव
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भाजपा के क्षेत्रीय दलों के साथ व्यवहार पर कहा, “क्षेत्रीय दलों के मामले में भाजपा का असली चेहरा अब सामने आ गया है। उसने बीजद की एक राज्यसभा सदस्य से इस्तीफा दिलवाकर उन्हें पुरस्कृत किया है। अब यह सीट भाजपा को मिलेगी।”

रमेश ने बीजद के भविष्य पर सवाल उठाते हुए कहा, “बेचारे नवीन बाबू सोच रहे होंगे कि अगला कौन होगा।”

ममता मोहंता का भाजपा में शामिल होना
बीजद नेता ममता मोहंता गुरुवार को भाजपा में शामिल हो गईं। इससे एक दिन पहले उन्होंने राज्यसभा सदस्य के रूप में इस्तीफा दे दिया था और नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली पार्टी छोड़ दी थी। ममता मोहंता का भाजपा में शामिल होना बीजद के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है और इससे यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या अन्य नेता भी इसी राह पर चल सकते हैं।

राजनीतिक विश्लेषण
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, ममता मोहंता का भाजपा में शामिल होना बीजद और भाजपा के बीच लंबे समय से चले आ रहे संबंधों का परिणाम है। इसके अलावा, यह नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजद के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि पार्टी के कई नेता भाजपा की ओर झुकाव दिखा रहे हैं।

इस घटनाक्रम ने विपक्षी पार्टियों को केंद्र की भाजपा सरकार की रणनीतियों पर सवाल उठाने का मौका दिया है और यह भी स्पष्ट किया है कि भाजपा किस तरह से क्षेत्रीय दलों के नेताओं को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस की प्रतिक्रिया से यह भी स्पष्ट है कि वह इस घटनाक्रम को विपक्षी एकता को मजबूत करने के लिए एक अवसर के रूप में देख रही है।

इस पूरे मामले से यह भी स्पष्ट होता है कि आगामी चुनावों में भाजपा का एजेंडा क्या हो सकता है और किस तरह से वह क्षेत्रीय दलों के नेताओं को अपने पाले में लाने की कोशिश करेगी। नवीन पटनायक और उनकी पार्टी के लिए यह समय है कि वे अपनी पार्टी को एकजुट रखने के लिए रणनीतिक कदम उठाएं।

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