समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 5अगस्त। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को बड़ा झटका देते हुए साफ कर दिया है कि उपराज्यपाल (LG) अपनी मर्जी से दिल्ली नगर निगम (MCD) में एल्डरमैन की नियुक्ति कर सकते हैं। अदालत ने कहा कि LG को MCD में पार्षदों की नियुक्ति के लिए दिल्ली सरकार की सलाह या सहायता मानने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। यह फैसला दिल्ली सरकार द्वारा LG के खिलाफ दायर याचिका पर सुनाया गया, जिसमें आरोप था कि LG ने बिना सलाह-मशविरा के एल्डरमैन की नियुक्ति की है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।
MCD में स्टैंडिंग कमेटी के गठन का रास्ता साफ
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद MCD में स्टैंडिंग कमेटी के गठन का रास्ता साफ हो जाएगा। स्टैंडिंग कमेटी का गठन अभी तक नहीं हो सका था, क्योंकि एल्डरमैन की नियुक्ति को लेकर विवाद जारी था। स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव में एल्डरमैन भी वोट देते हैं, जिससे इस प्रक्रिया में देरी हो रही थी।
5 करोड़ से ज़्यादा के प्रोजेक्ट की मंजूरी
यह भी महत्वपूर्ण है कि 5 करोड़ रुपये से अधिक के प्रोजेक्ट्स के लिए स्टैंडिंग कमेटी की मंजूरी आवश्यक होती है। इस कारण कई बुनियादी सुविधाओं के प्रोजेक्ट लटके पड़े हैं। जलभराव, नालों की सफाई और अन्य बुनियादी सुविधाओं के विकास में विफलता के चलते MCD पर सवाल उठ रहे हैं। अब इस फैसले के बाद स्टैंडिंग कमेटी के गठन के लिए मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।
दिल्ली सरकार की प्रतिक्रिया
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में कहा था, “1991 में अनुच्छेद 239एए के प्रभावी होने के बाद यह पहली बार है जब उपराज्यपाल ने निर्वाचित सरकार को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए ऐसी नियुक्ति की है, जिससे एक अनिर्वाचित कार्यालय को वह शक्ति प्राप्त हो गई है जो विधिवत निर्वाचित सरकार की होती है।”
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद, दिल्ली नगर निगम के लिए जनवरी 2023 में LG द्वारा तय किए गए नाम अब मान्य रहेंगे।