समग्र समाचार सेवा
मुंबई, 9अगस्त। केंद्र सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक पेश किया। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे संसद की संयुक्त समिति के पास भेजने का प्रस्ताव दिया। इस दौरान लोकसभा में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बीच गहमागहमी देखने को मिली।
अखिलेश यादव के आरोप
अखिलेश यादव इस विधेयक का विरोध कर रहे थे। उन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा पर आरोप लगाया कि प्रस्तावित वक्फ अधिनियम में संशोधन की आड़ में वक्फ की जमीन बेचने की योजना बनाई जा रही है। यादव ने कहा, “भाजपा एक रियल एस्टेट कंपनी की तरह काम कर रही है। भारतीय जनता पार्टी को अपना नाम बदलकर ‘भारतीय जमीन पार्टी’ रख लेना चाहिए।”
यादव ने सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा, “वक्फ बोर्ड का ये सब संशोधन भी बस एक बहाना है। रक्षा, रेल, नजूल भूमि की तरह जमीन बेचना निशाना है। भाजपा क्यों नहीं खुलकर लिख देती- भाजपाई-हित में जारी।” उन्होंने मांग की कि वक्फ बोर्ड की जमीनें बेचे न जाने की लिखित में गारंटी दी जाए।
अमित शाह का पलटवार
अखिलेश यादव के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, “अखिलेश जी, इस तरह की गोलमोल बातें आप नहीं कर सकते। आप स्पीकर के अधिकार के संरक्षक नहीं हैं। स्पीकर सिर्फ विपक्ष के नहीं हैं, सत्ता पक्ष के भी हैं।”
विधेयक का विपक्षी विरोध
गुरुवार को किरेन रिजिजू ने सदन में ‘वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024’ पेश किया और विभिन्न दलों की मांग के अनुसार विधेयक को संसद की संयुक्त समिति के पास भेजने का प्रस्ताव किया। विपक्षी सदस्यों ने विधेयक का पुरजोर विरोध किया और इसे संविधान, संघवाद और अल्पसंख्यकों पर हमला बताया।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री का स्पष्टीकरण
विपक्षी सदस्यों के सवालों का जवाब देते हुए अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि विधेयक में किसी धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है तथा संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, “वक्फ संशोधन पहली बार सदन में पेश नहीं किया गया है। आजादी के बाद सबसे पहले 1954 में यह विधेयक लाया गया। इसके बाद कई संशोधन किए गए।”
विधेयक को संसद की संयुक्त समिति के पास भेजने का निर्णय सरकार की ओर से एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, ताकि विभिन्न दलों के सदस्यों के साथ इस पर विस्तृत चर्चा की जा सके और सभी पक्षों की चिंताओं को ध्यान में रखा जा सके।