समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 12अगस्त। हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट के आने के बाद देश में सियासी पारा तेजी से बढ़ गया है। विपक्षी दलों ने एक बार फिर केंद्र सरकार को निशाने पर ले लिया है। इस मुद्दे पर अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है।
खड़गे ने क्या कहा?
मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को एक्स पर लिखा, “सेबी ने माननीय सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मोदी जी के परम मित्र अडानी को हिंडनबर्ग के जनवरी 2023 के खुलासों में क्लीन चिट दी थी। आज उसी सेबी के मुखिया के तथाकथित वित्तीय रिश्ते उजागर हुए हैं।”
खड़गे ने आगे कहा, “मध्यम वर्ग से संबंधित छोटे और मध्यम निवेशकों, जो अपनी मेहनत की कमाई शेयर बाजार में निवेश करते हैं, उनको संरक्षित करने की आवश्यकता है, क्योंकि वे सेबी में विश्वास करते हैं। जब तक इस महा-घोटाले में जेपीसी (जॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी) जांच नहीं होगी, तब तक मोदी जी अपने A1 मित्र की मदद करते रहेंगे और देश की संवैधानिक संस्थाएं तार-तार होती रहेंगी।”
हिंडनबर्ग के आरोप
अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधवी बुच पर आरोप लगाए हैं। हिंडनबर्ग ने दावा किया है कि सेबी की अध्यक्ष बुच और उनके पति के पास अडानी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी। हिंडनबर्ग ने “व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों” का हवाला देते हुए यह आरोप लगाए हैं।
अडानी समूह का बयान
अडानी समूह ने हिंडनबर्ग के नवीनतम आरोपों को दुर्भावनापूर्ण और चुनिंदा सार्वजनिक सूचनाओं से छेड़छाड़ करने वाला बताते हुए इनकार किया है। अडानी समूह ने कहा कि उसका सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच या उनके पति के साथ कोई वाणिज्यिक संबंध नहीं है।
सेबी की चेयरपर्सन का उत्तर
माधवी पुरी बुच और उनके पति ने आरोपों को ‘आधारहीन’ और ‘चरित्र हनन’ का प्रयास बताते हुए खारिज किया है। बुच दंपति ने कहा, “रिपोर्ट में लगाए गए आरोप पूरी तरह से आधारहीन और बेबुनियाद हैं। इनमें तनिक भी सच्चाई नहीं है। हमारा जीवन और वित्तीय स्थिति एक खुली किताब की तरह है। सभी जरूरी खुलासे पहले ही वर्षों से सेबी को दिए जा चुके हैं। हमें किसी भी वित्तीय दस्तावेज का खुलासा करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है।”
हिंडनबर्ग ने जनवरी 2023 में अडानी समूह पर वित्तीय लेनदेन में गड़बड़ी और शेयरों की कीमतें चढ़ाने के लिए विदेश कोष के दुरुपयोग के आरोप लगाए थे। हालांकि, अडानी समूह ने इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि वह नियामकीय प्रावधानों का पालन करता है।