केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह और वस्त्र राज्य मंत्री पबित्र मार्घेरिटा ने “विरासत” प्रदर्शनी का अवलोकन किया

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 13अगस्त। केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह और वस्त्र राज्य मंत्री पबित्र मार्घेरिटा ने सोमवार को नई दिल्ली के जनपथ स्थित हैंडलूम हाट में आयोजित “विरासत” प्रदर्शनी का अवलोकन किया। यह प्रदर्शनी 10वें राष्ट्रीय हैंडलूम दिवस के उपलक्ष्य में 3 अगस्त से 16 अगस्त, 2024 तक एक पखवाड़े के लिए आयोजित की जा रही है।

गिरिराज सिंह ने हथकरघा बुनकरों और कारीगरों से बातचीत की और सरकार के बुनकरों और उनके परिवारों के लिए बेहतर आय के अवसर प्रदान करने हेतु वस्त्र मूल्य श्रृंखला में सुधार करने के प्रयासों पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में दुनिया का सबसे बड़ा हथकरघा समुदाय है, जो स्थिरता और ऊर्जा दक्षता पर केंद्रित है। उन्होंने बताया कि हथकरघा उद्योग शून्य-कार्बन और शून्य-जल उपयोग वाला क्षेत्र है, जो इसे दुनिया के टिकाऊ उत्पादों के उपयोग की ओर बढ़ने के रुझान में महत्वपूर्ण बनाता है।

पबित्र मार्घेरिटा ने हथकरघा क्षेत्र में प्राकृतिक रंगों के उपयोग के लाइव प्रदर्शन को देखा और कहा कि वर्तमान में फैशन उद्योग में प्राकृतिक रंगों वाले हथकरघा कपड़ों की भारी मांग देखी जा रही है। उन्होंने बताया कि इस प्रकार के रंगों का उपयोग बुनकरों के उत्पादों में मूल्यवर्धन करने के साथ-साथ उनकी आय में भी वृद्धि करता है।

मंत्रियों ने हैंडलूम हाट में पौधारोपण कर “एक पेड़ मां के नाम” अभियान को प्रोत्साहित किया और “हर घर तिरंगा” अभियान के तहत हथकरघा बुनकरों और कारीगरों को तिरंगा झंडे वितरित किए।

प्रदर्शनी प्रतिदिन सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक जनता के लिए खुली रहेगी। इसमें भारत के विभिन्न क्षेत्रों से लिए गए कोसा, चंदेरी, मधुबनी, मंगलगिरी, मेखला चादर, मोइरांग फी, इकत आदि हथकरघा उत्पाद प्रदर्शित और बिक्री के लिए रखे गए हैं।

हैंडलूम हाट में कई गतिविधियाँ आयोजित की जा रही हैं, जैसे कि हथकरघा बुनकरों और कारीगरों के लिए 75 स्टॉल, जहां वे सीधे उत्पादों की खुदरा बिक्री कर सकते हैं। इसके अलावा, 12 अगस्त 2024 को बुनकरों और कारीगरों के लिए विशेष स्वास्थ्य शिविर, लोई लूम और फ्रेम लूम का लाइव प्रदर्शन, भारत के लोक नृत्य और क्षेत्रीय व्यंजनों का प्रदर्शन भी इस आयोजन का हिस्सा हैं।

भारत का हथकरघा क्षेत्र प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 35 लाख लोगों को रोजगार देता है, जो कृषि क्षेत्र के बाद देश में दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है। भारत सरकार ने हथकरघा के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाले और पर्यावरण पर शून्य प्रभाव वाले उत्पादों की ब्रांडिंग के माध्यम से इस उद्योग को प्रोत्साहित करना और बाजार में उनकी विशिष्टता को उजागर करना है।

“विरासत” श्रृंखला – “विशेष हथकरघा एक्सपो” राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर आयोजित की जाने वाली प्रमुख प्रदर्शनी है, जो भारत की समृद्ध हथकरघा और हस्तशिल्प परंपरा को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए केंद्रित है।

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