महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध: NCRB की रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,24अगस्त। केंद्र सरकार की एजेंसी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़े भारतीय समाज में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों की भयावह तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। NCRB की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सालभर में महिलाओं के खिलाफ अपराध के चार लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए जाते हैं। ये आंकड़े न केवल चिंताजनक हैं, बल्कि समाज और सरकार के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करते हैं।

महिलाओं के खिलाफ अपराधों के आंकड़े

NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2023 में महिलाओं के खिलाफ कुल 4,05,861 अपराध दर्ज किए गए। इन अपराधों में बलात्कार, छेड़छाड़, दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, साइबर अपराध, और अपहरण जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं। इनमें सबसे ज्यादा मामले घरेलू हिंसा और यौन उत्पीड़न के सामने आए हैं, जो समाज में महिलाओं की सुरक्षा के प्रति हमारी उदासीनता को दर्शाते हैं।

विभिन्न प्रकार के अपराधों का वर्गीकरण:
  1. बलात्कार के मामले: NCRB की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि बलात्कार के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। 2023 में, बलात्कार के लगभग 32,000 मामले दर्ज किए गए, जो कि समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता और महिलाओं के प्रति असुरक्षित माहौल को दर्शाते हैं।
  2. घरेलू हिंसा: घरेलू हिंसा के मामले भी बड़ी संख्या में सामने आए हैं। NCRB के अनुसार, इस साल घरेलू हिंसा के 1,00,000 से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं। यह आंकड़ा बताता है कि महिलाएं घर के भीतर भी सुरक्षित नहीं हैं और उन्हें शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है।
  3. दहेज उत्पीड़न: दहेज की मांग को लेकर होने वाली हिंसा भी महिलाओं के खिलाफ अपराधों में प्रमुख स्थान रखती है। दहेज उत्पीड़न के मामलों में 2023 में 8,000 से अधिक महिलाओं की जान चली गई, जो कि बेहद दुखद है।
  4. साइबर अपराध: आधुनिक तकनीक के युग में महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराध के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर महिलाओं के साथ छेड़छाड़, धमकी, और अश्लील सामग्री के जरिए परेशान करने के मामले NCRB की रिपोर्ट में उजागर हुए हैं।

महिलाओं की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम

NCRB की रिपोर्ट आने के बाद सरकार और समाज में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर नई बहस छिड़ गई है। महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं:

  1. कानूनों में संशोधन: महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए सरकार ने कई कानून बनाए हैं और पुराने कानूनों में संशोधन किए हैं। इनमें यौन उत्पीड़न, बलात्कार, और घरेलू हिंसा से संबंधित कानून शामिल हैं। सरकार ने पोक्सो (POCSO) एक्ट के तहत बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों पर भी सख्त कार्रवाई की है।
  2. महिला हेल्पलाइन: केंद्र और राज्य सरकारों ने महिलाओं की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं, जहां महिलाएं तुरंत मदद के लिए संपर्क कर सकती हैं। 181 और 1091 जैसे महिला हेल्पलाइन नंबर के जरिए महिलाएं किसी भी संकट की स्थिति में मदद मांग सकती हैं।
  3. महिला पुलिस बल की नियुक्ति: महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महिला पुलिस बल की संख्या में भी इजाफा किया जा रहा है। थानों में महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती से महिलाएं बिना किसी झिझक के अपनी शिकायत दर्ज करा सकती हैं।
  4. सुरक्षा और जागरूकता अभियान: समाज में जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न सुरक्षा और जागरूकता अभियानों का आयोजन किया जा रहा है। स्कूलों, कॉलेजों, और कार्यस्थलों पर महिलाओं के लिए सुरक्षा से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

समाज की भूमिका

सरकार के प्रयासों के साथ ही समाज को भी अपनी भूमिका निभानी होगी। महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए मानसिकता में बदलाव की जरूरत है। पुरुषों को महिलाओं के प्रति सम्मानजनक व्यवहार अपनाने की शिक्षा दी जानी चाहिए और उन्हें महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष

NCRB की रिपोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए अभी भी लंबा रास्ता तय करना बाकी है। समाज और सरकार दोनों को मिलकर ऐसे उपाय करने होंगे, जिससे महिलाएं अपने घर, कार्यस्थल, और समाज में सुरक्षित महसूस कर सकें। महिलाओं की सुरक्षा सिर्फ कानून व्यवस्था का ही नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक जिम्मेदारी भी है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी बेटियां, बहनें और महिलाएं भयमुक्त वातावरण में जी सकें और अपने सपनों को साकार कर सकें।

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