पॉलीग्राफ टेस्ट में हुए खुलासे: संजय रॉय की गतिविधियों पर उठे सवाल

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,26अगस्त। आज तक को आरोपी संजय रॉय के पॉलीग्राफ टेस्ट की पूरी जानकारी प्राप्त हुई है, जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। संजय रॉय, जो एक गंभीर मामले में आरोपी है, ने पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान कई अहम जानकारियां दी हैं।

आठ-नौ अगस्त की रात की गतिविधियां

पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान संजय रॉय ने स्वीकार किया कि आठ-नौ अगस्त की रात को वह शहर के विभिन्न रेड लाइट एरिया में गया था। हालांकि, उसने यह दावा किया कि उसका इन जगहों पर जाने का कोई अपराध करने का उद्देश्य नहीं था, बल्कि वह सिर्फ घूमने के लिए वहां गया था।

लेकिन वारदात की रात खुद को साबित नहीं कर सका निर्दोष

हालांकि, संजय रॉय ने खुद को निर्दोष साबित करने की पूरी कोशिश की, लेकिन टेस्ट में उसके बयानों और तथ्यात्मक साक्ष्यों के बीच कई विसंगतियाँ पाई गईं। जब उससे वारदात की रात की अपनी गतिविधियों के बारे में पूछा गया, तो उसके बयान में विरोधाभास और झूठ पकड़े गए।

क्या खुलासा हुआ पॉलीग्राफ टेस्ट में?

  1. अस्पष्ट बयान: संजय रॉय ने अपनी रात की गतिविधियों के बारे में कई अस्पष्ट और भ्रामक बयान दिए। उसने यह भी दावा किया कि वह अकेला था और किसी अन्य व्यक्ति से नहीं मिला। लेकिन टेस्ट में इस बयान पर भी संदेह उत्पन्न हुआ।
  2. घटनास्थल के करीब मौजूदगी: पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान यह खुलासा हुआ कि संजय रॉय की फोन लोकेशन घटनास्थल के पास थी, जबकि उसने पहले कहा था कि वह उस इलाके में नहीं गया था। यह विसंगति उसकी कहानी को कमजोर करती है और उसे संदिग्ध बनाती है।
  3. वारदात से जुड़े सवाल: जब उससे वारदात की रात के बारे में सीधे सवाल किए गए, तो उसके जवाबों में झिझक और अस्थिरता देखी गई। पॉलीग्राफ टेस्ट में उसके झूठ पकड़ने वाले सेंसर बार-बार सक्रिय हुए, जो उसकी कहानी की सच्चाई पर सवाल उठाते हैं।

पुलिस की अगली कार्रवाई

पॉलीग्राफ टेस्ट के नतीजे पुलिस के लिए एक महत्वपूर्ण सुराग साबित हो सकते हैं। इन नतीजों के आधार पर, पुलिस संजय रॉय से आगे की पूछताछ कर सकती है और उसके बयानों की गहन जांच कर सकती है।

इसके अलावा, पुलिस रॉय के कॉल रिकॉर्ड, लोकेशन ट्रैकिंग और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सबूतों की भी जांच कर रही है, ताकि वारदात की सच्चाई का पता लगाया जा सके। पुलिस की कोशिश है कि वह इस मामले में जल्द से जल्द सच्चाई तक पहुंचे और दोषियों को सजा दिला सके।

सार्वजनिक प्रतिक्रिया

इस मामले ने जनता के बीच भी हलचल मचा दी है। लोगों में संजय रॉय के बयानों पर विश्वास करने में संशय है, और वे चाहते हैं कि पुलिस जल्द से जल्द इस मामले को सुलझाए। सोशल मीडिया पर भी इस मामले को लेकर चर्चाएं गर्म हैं, और लोग पुलिस से तेजी से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

निष्कर्ष

संजय रॉय का पॉलीग्राफ टेस्ट यह संकेत देता है कि इस मामले में कई रहस्य छिपे हुए हैं। हालांकि वह खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन टेस्ट के नतीजे उसके बयानों की सत्यता पर सवाल खड़े कर रहे हैं। पुलिस की जांच और अगली कार्रवाई से ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि संजय रॉय की भूमिका इस मामले में क्या थी और वारदात के पीछे कौन सा सच छिपा है।

इस प्रकार के मामले समाज में विश्वास और सुरक्षा की भावना को चुनौती देते हैं। पुलिस और जांच एजेंसियों की जिम्मेदारी है कि वे निष्पक्ष और सटीक जांच करके सच्चाई को सामने लाएं और न्याय सुनिश्चित करें।

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