हरियाणा चुनाव 2024: बीजेपी की पहली लिस्ट में ओबीसी और जाट नेताओं पर भरोसा, जातीय गणित पर खेला दांव

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,5 सितम्बर। हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपनी पहली सूची जारी कर दी है, जिसमें ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) और जाट समुदाय के नेताओं को प्रमुखता दी गई है। इस सूची में ओबीसी उम्मीदवारों की संख्या सबसे अधिक है, जबकि जाट समुदाय से भी 13 नेताओं को टिकट दिया गया है। पार्टी ने जातीय गणित को ध्यान में रखते हुए यह सूची तैयार की है ताकि विभिन्न समुदायों के समर्थन को हासिल किया जा सके और सत्ता में वापसी की कोशिश की जा सके।

ओबीसी उम्मीदवारों पर खास जोर

बीजेपी की इस सूची में सबसे ज्यादा ओबीसी उम्मीदवार शामिल किए गए हैं। ओबीसी वर्ग हरियाणा में एक बड़ा वोट बैंक माना जाता है, और बीजेपी ने इस वर्ग को ध्यान में रखते हुए अपने उम्मीदवारों का चयन किया है। ओबीसी समुदाय के नेताओं को टिकट देकर पार्टी ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि वह इस वर्ग के वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए प्रतिबद्ध है।

जाट नेताओं को भी मिला मौका

बीजेपी ने जाट समुदाय से भी 13 नेताओं को टिकट दिया है। जाट समुदाय हरियाणा की राजनीति में हमेशा से एक प्रभावशाली भूमिका निभाता रहा है। हालांकि बीजेपी की जाट समुदाय के साथ संबंध कुछ समय से तनावपूर्ण रहे हैं, लेकिन इस बार पार्टी ने कोशिश की है कि जाट मतदाताओं को भी अपने पाले में किया जाए।

जातीय गणित और चुनावी रणनीति

बीजेपी की इस पहली सूची से यह साफ है कि पार्टी ने चुनावी रणनीति में जातीय गणित को खासतौर पर ध्यान में रखा है। हरियाणा में जाट, ओबीसी, दलित और अन्य वर्गों के मतदाता चुनाव परिणामों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बीजेपी ने इस गणित को साधने के लिए ओबीसी, जाट, और अनुसूचित जाति (एससी) समुदायों के उम्मीदवारों को टिकट दिया है।

परिवारवाद पर निशाना

बीजेपी ने हरियाणा की राजनीति में प्रमुख परिवारों जैसे भजनलाल और बंसीलाल परिवारों को चुनौती देने की रणनीति भी अपनाई है। पार्टी ने उन नेताओं को तरजीह दी है जो अपने काम से पहचाने जाते हैं, न कि केवल राजनीतिक परिवारों से जुड़े होने की वजह से। पार्टी की यह रणनीति राज्य में परिवारवाद के खिलाफ एक मजबूत संदेश देने के तौर पर देखी जा रही है।

निष्कर्ष

बीजेपी की पहली सूची से यह साफ है कि पार्टी ने हरियाणा चुनावों में जातीय समीकरणों को साधने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। ओबीसी और जाट नेताओं पर दांव लगाकर बीजेपी ने यह संदेश दिया है कि वह हरियाणा के विभिन्न समुदायों को एक साथ जोड़कर सत्ता में वापसी करना चाहती है। आगामी चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी की यह रणनीति कितनी कारगर साबित होती है।

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