फैमिली कोर्ट में बुजुर्ग महिला गायत्री देवी ने दाखिल की याचिका, पति की पेंशन से गुज़ारा भत्ता की मांग

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,25 सितम्बर। गायत्री देवी, एक बुजुर्ग महिला, ने हाल ही में फैमिली कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसमें उन्होंने अपने पति की पेंशन से आजीविका के लिए हर महीने 15 हजार रुपये गुज़ारा भत्ता की मांग की है। याचिका में बताया गया है कि उनके पति की पेंशन लगभग 35 हजार रुपये है, और उनके पास कोई स्थिर आय का साधन नहीं है, जिससे उनकी आजीविका मुश्किल हो गई है।

याचिका का विवरण

गायत्री देवी ने कोर्ट में अपनी याचिका में कहा कि उनके पति से अलग होने के बाद वह अकेले रहने को मजबूर हैं और उनकी आर्थिक स्थिति काफी कमजोर हो गई है। उनके पास खुद का कोई स्रोत नहीं है, जिससे वे अपनी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा कर सकें। उन्होंने कोर्ट से गुज़ारा भत्ता के रूप में पति की पेंशन से 15 हजार रुपये मासिक देने की मांग की है, ताकि उनकी बुनियादी ज़रूरतें पूरी हो सकें।

कानूनी अधिकार और समर्थन

भारतीय कानून के तहत एक पत्नी को यह अधिकार है कि अगर वह आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं है, तो वह अपने पति से गुज़ारा भत्ता की मांग कर सकती है। गायत्री देवी ने इसी आधार पर अपनी याचिका फैमिली कोर्ट में दाखिल की है। कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई करेगी और दोनों पक्षों की स्थिति को समझते हुए निर्णय सुनाएगी।

सामाजिक और पारिवारिक मुद्दे

यह मामला उन बुजुर्ग महिलाओं की स्थिति को उजागर करता है, जो उम्र के इस पड़ाव में वित्तीय असुरक्षा का सामना कर रही हैं। गायत्री देवी का यह कदम उन महिलाओं के लिए प्रेरणा हो सकता है, जो अपनी आजीविका के लिए संघर्ष कर रही हैं और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं हैं। ऐसे मामलों में कानूनी सहायता और गुज़ारा भत्ता का प्रावधान उन्हें आत्मसम्मान के साथ जीवन जीने में मदद कर सकता है।

कोर्ट का निर्णय

कोर्ट अब गायत्री देवी की याचिका पर विचार करेगी और उनके पति की पेंशन और उनकी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उचित फैसला सुनाएगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट इस मामले में क्या निर्णय लेती है और यह फैसला किस तरह से अन्य महिलाओं के लिए एक मिसाल साबित हो सकता है।

गायत्री देवी की इस याचिका ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि बुजुर्ग महिलाओं को उनके आर्थिक और सामाजिक अधिकारों को लेकर जागरूक किया जाए, ताकि वे अपने जीवन में किसी भी तरह की कठिनाई का सामना बिना सहारे के न करें।

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