समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,8 अक्टूबर। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10-11 अक्टूबर 2024 को लाओ पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक (लाओस) के राजधानी वियनतियाने का दौरा करेंगे। यह दौरा लाओस के प्रधानमंत्री सोनेक्से सिफांडोन के निमंत्रण पर हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी इस यात्रा के दौरान 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।
शिखर सम्मेलन का महत्व
आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेकर प्रधानमंत्री मोदी न केवल भारत के क्षेत्रीय संबंधों को मजबूत करने का प्रयास करेंगे, बल्कि ये सम्मेलन भारत की विदेश नीति के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संगठन) के साथ भारत के संबंधों को बढ़ावा देने का यह एक बड़ा अवसर है, जिसमें व्यापार, सुरक्षा, और सांस्कृतिक सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती
इस दौरे के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी लाओस के नेतृत्व से द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में बातचीत करेंगे। लाओस और भारत के बीच कई क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाएं हैं, जैसे कि व्यापार, निवेश, पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान। लाओस की भौगोलिक स्थिति और भारत के साथ संबंध इसे एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार बनाते हैं।
क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दे
आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों पर भी चर्चा होगी। इसमें सामूहिक सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई, और जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा से ही क्षेत्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता दी है, और इस सम्मेलन के माध्यम से वे साझा चुनौतियों का सामना करने के लिए सहयोग बढ़ाने की दिशा में प्रयास करेंगे।
आर्थिक सहयोग
दौरे के दौरान आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भी बातचीत की जाएगी। भारत ने लाओस के साथ व्यापार और निवेश को बढ़ाने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, जो दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को और मजबूत करेंगी। इससे क्षेत्र में विकास और समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
निष्कर्ष
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का लाओस दौरा भारत के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह आसियान के साथ संबंधों को मजबूत करने और क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने का एक अवसर है। 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में उनकी भागीदारी से न केवल भारत के प्रभाव को बढ़ाने में मदद मिलेगी, बल्कि यह लाओस के साथ द्विपक्षीय संबंधों को भी नई दिशा देगा। यह दौरा भारत की विदेश नीति के लिए एक नई शुरुआत हो सकती है, जिसमें क्षेत्रीय स्थिरता और समृद्धि के लिए सहयोग पर जोर दिया जाएगा।