कनाडा: भारतवंशी सांसद ने धमकियों के बावजूद खालिस्तानी चरमपंथ पर साधा निशाना, हिंदुओं से की एकजुट होने की अपील

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,17 अक्टूबर। कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथ का मुद्दा एक बार फिर से सुर्खियों में है, और इस बार भारतवंशी सांसद ने इस संवेदनशील विषय पर खुलकर अपनी बात रखी है। धमकियों के बावजूद, सांसद ने न केवल खालिस्तानी चरमपंथियों की कड़ी आलोचना की, बल्कि कनाडा में बसे हिंदू समुदाय से एकजुट होने की अपील भी की। उनका यह कदम कनाडा के राजनीतिक और सामाजिक माहौल में एक साहसिक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि खालिस्तानी मुद्दे पर बोलने वालों को अक्सर धमकियों का सामना करना पड़ता है।

सांसद का साहसिक बयान

कनाडाई संसद के सदस्य, जो भारतीय मूल के हैं, ने खालिस्तानी चरमपंथ के बढ़ते प्रभाव और उसकी हिंसक विचारधारा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कनाडा में खालिस्तानी तत्व केवल एक छोटे समूह तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे यहां की शांति और सामाजिक सद्भाव को भी खतरे में डाल रहे हैं। सांसद ने साफ शब्दों में कहा कि चरमपंथी ताकतें कनाडा के अंदर विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रही हैं, जो देश के सामाजिक ताने-बाने को कमजोर कर सकता है।

धमकियों का सामना

सांसद को खालिस्तानी समर्थकों से धमकियां भी मिली हैं, जो इस मुद्दे पर उनके खुलकर बोलने से नाराज़ हैं। इसके बावजूद, सांसद ने अपने रुख को बदलने से इंकार कर दिया और खालिस्तानी चरमपंथ की आलोचना जारी रखी। उन्होंने कहा कि ऐसी धमकियां उनके साहस को नहीं डिगा सकतीं और वे कनाडा में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए अपने प्रयास जारी रखेंगे।

हिंदू समुदाय से एकजुट होने की अपील

सांसद ने कनाडा में बसे हिंदू समुदाय से एकजुट होने और खालिस्तानी चरमपंथ के खिलाफ मजबूती से खड़े होने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह समय है जब हिंदू समुदाय को एक होकर अपने अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए और चरमपंथी तत्वों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। सांसद ने कहा कि कनाडा में सभी को अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान के साथ सुरक्षित महसूस करने का अधिकार है, और इसके लिए जरूरी है कि हिंदू समुदाय एकजुट होकर इन चरमपंथी ताकतों का मुकाबला करे।

कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथ की स्थिति

कनाडा में खालिस्तानी आंदोलन लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है। यहां की कई राजनीतिक पार्टियों और नेताओं को खालिस्तानी समर्थकों का समर्थन मिलता रहा है, जिससे इस मुद्दे पर बोलने वालों को अक्सर धमकियां और हिंसा का सामना करना पड़ता है। खालिस्तानी समर्थक समूह खुलेआम भारत के खिलाफ और अलगाववादी विचारधारा को बढ़ावा देते रहे हैं, जिससे कनाडा और भारत के बीच संबंधों में तनाव बढ़ा है।

सांसद की अपील का महत्त्व

भारतवंशी सांसद का यह बयान ऐसे समय में आया है जब कनाडा में खालिस्तानी मुद्दे को लेकर चर्चा तेज हो रही है। इस बयान से स्पष्ट होता है कि कनाडाई भारतीय समुदाय, विशेष रूप से हिंदू समुदाय, चरमपंथी ताकतों के खिलाफ संगठित हो रहा है। सांसद की अपील से यह भी संकेत मिलता है कि कनाडा में भारतीय समुदाय अपनी सुरक्षा और पहचान को लेकर अधिक सतर्क हो रहा है, और वे चरमपंथ के खिलाफ मजबूती से खड़े होने के लिए तैयार हैं।

निष्कर्ष

कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथ के खिलाफ बोलना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन भारतवंशी सांसद ने साहस दिखाते हुए इस मुद्दे को उजागर किया और हिंदू समुदाय से एकजुट होने की अपील की। यह कदम कनाडा में शांति और सामाजिक सद्भाव को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। सांसद का यह साहसिक बयान और खालिस्तानी चरमपंथ के खिलाफ उनकी मुखरता भविष्य में कनाडा और भारत के संबंधों पर भी प्रभाव डाल सकता है, साथ ही कनाडा में भारतीय समुदाय को चरमपंथी ताकतों के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा देगा।

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