जानिए लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटे TRF के बारे में, गांदरबल हमले में आ रहा नाम, माइग्रेंट्स पर पहले भी कर चुका है हमला

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,21 अक्टूबर। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के गांदरबल इलाके में हुए आतंकी हमले में आतंकवादी संगठन “द रेजिस्टेंस फ्रंट” (TRF) का नाम एक बार फिर सामने आ रहा है। TRF को आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा माना जाता है, जो पिछले कुछ वर्षों में कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों में सक्रिय रहा है। इस संगठन का गठन आतंकियों की नई रणनीति के तहत हुआ था, ताकि अंतरराष्ट्रीय मंच पर लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तान की भूमिका को छिपाया जा सके।

TRF का गठन और उद्देश्य

TRF का उदय 2019 के बाद देखा गया, जब जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई गई थी। इसका उद्देश्य कश्मीर घाटी में हिंसा फैलाना और भारतीय सुरक्षा बलों के खिलाफ आतंकवादी हमले करना है। TRF का नाम विशेष रूप से उन घटनाओं में सामने आता है, जिनमें नागरिकों, विशेष रूप से गैर-मूल निवासी (माइग्रेंट्स) और अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाया जाता है। इसके जरिए आतंकवादी संगठनों ने एक नया नाम और पहचान बनाकर अपनी गतिविधियों को छिपाने की कोशिश की है।

गांदरबल हमला और TRF की भूमिका

गांदरबल हमले में TRF का नाम सामने आने से सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। TRF पहले भी जम्मू-कश्मीर में कई बड़े हमलों में शामिल रहा है, जिसमें उसने सुरक्षा बलों के साथ-साथ आम नागरिकों को भी निशाना बनाया है। गांदरबल हमला TRF की ओर से माइग्रेंट्स को निशाना बनाने की उसकी पुरानी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। यह संगठन विशेष रूप से उन क्षेत्रों में हमले करता है, जहां माइग्रेंट्स और बाहरी मजदूर काम करते हैं, ताकि डर और असुरक्षा का माहौल फैलाया जा सके।

माइग्रेंट्स पर TRF के हमले

TRF द्वारा माइग्रेंट्स पर हमले कोई नई बात नहीं है। संगठन ने इससे पहले भी कई बार गैर-मूल निवासी मजदूरों और नागरिकों को निशाना बनाया है। इसका उद्देश्य घाटी में सांप्रदायिक तनाव और दहशत का माहौल बनाना है। ये हमले अक्सर कश्मीर की आर्थिक स्थिति को कमजोर करने के इरादे से किए जाते हैं, क्योंकि माइग्रेंट्स घाटी में बड़े पैमाने पर निर्माण और अन्य आर्थिक गतिविधियों में शामिल होते हैं।

TRF की रणनीति और सुरक्षा बलों की चुनौती

TRF की रणनीति कश्मीर में आतंकवाद को नया चेहरा देने और स्थानीय युवाओं को उकसाने की रही है। यह संगठन सोशल मीडिया का भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करता है, जिससे युवाओं को कट्टरपंथी बनाने की कोशिश की जाती है। TRF के हमले लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद की गहरी साजिश को उजागर करते हैं, जिससे भारतीय सुरक्षा बलों के सामने चुनौतियां और बढ़ जाती हैं।

निष्कर्ष

TRF के बढ़ते प्रभाव और आतंकवादी गतिविधियों से यह स्पष्ट होता है कि यह संगठन कश्मीर में आतंकवाद को नए रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है। सुरक्षा बलों को इस चुनौती से निपटने के लिए और सतर्क रहना होगा, खासकर माइग्रेंट्स और नागरिकों की सुरक्षा के मामले में। TRF के हमलों का उद्देश्य केवल हिंसा फैलाना नहीं है, बल्कि कश्मीर की स्थिरता और आर्थिक गतिविधियों को बाधित करना भी है।

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