भारत और अमेरिका के चुनावी प्रक्रिया की तुलना: प्रचार और मतदान के अलग-अलग अंदाज

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,23 अक्टूबर। भारत और अमेरिका, दोनों दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश हैं, लेकिन दोनों में चुनावी प्रक्रिया में बुनियादी अंतर हैं। खासकर प्रचार और मतदान के तरीके में दोनों देशों का दृष्टिकोण एकदम भिन्न है। जहां भारत में चुनाव प्रचार एक निश्चित अवधि के बाद पूरी तरह से बंद हो जाता है, वहीं अमेरिका में प्रचार और मतदान समानांतर रूप से चलते रहते हैं।

भारत की चुनावी प्रक्रिया: प्रचार की समाप्ति और मतदान का समय

भारत में चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत प्रचार से होती है, जहां राजनीतिक दल और उम्मीदवार जनता के बीच जाकर अपनी नीतियों और एजेंडा को रखते हैं। चुनाव आयोग द्वारा तय नियमों के तहत, मतदान से 36 घंटे पहले प्रचार बंद करना अनिवार्य होता है। इसे ‘मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट’ के तहत लागू किया जाता है, ताकि मतदाता बिना किसी बाहरी दबाव के स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से अपना निर्णय ले सकें। यह व्यवस्था मतदाता को शांत माहौल में सोचने का समय देने के लिए बनाई गई है।

चुनाव प्रचार के बंद होने के बाद, अगले दिन पूरे राज्य या जिले में मतदान होता है। मतदान के दिन से पहले सभी प्रचार सामग्री, रैलियां, मीडिया विज्ञापन आदि को रोक दिया जाता है। इसके बाद, जनता मतदान केंद्र पर जाकर वोट डालती है। मतदान की प्रक्रिया अक्सर एक दिन में पूरी होती है, हालांकि कुछ राज्यों में चरणबद्ध चुनाव भी होते हैं।

अमेरिका की चुनावी प्रक्रिया: समानांतर प्रचार और मतदान

इसके विपरीत, अमेरिका में चुनाव प्रक्रिया काफी अलग है। वहां प्रचार और मतदान एक साथ चलते हैं। मतदान की शुरुआत अक्सर ‘अर्ली वोटिंग’ (प्रारंभिक मतदान) से होती है, जो चुनाव के दिन से लगभग चार हफ्ते पहले शुरू हो जाती है। इस दौरान, मतदाता अपने सुविधानुसार वोट डाल सकते हैं, और इसके साथ-साथ प्रचार भी जारी रहता है।

वॉशिंगटन और अमेरिका के अन्य हिस्सों में, मेल-इन बैलट्स (डाक द्वारा मतदान) भी एक प्रमुख तरीका है, जिससे मतदाता अपने मत पत्र को डाक के माध्यम से भेज सकते हैं। इस व्यवस्था से मतदाता पहले से मतदान कर सकते हैं, और चुनाव के अंतिम दिन तक उनके पास मतदान करने का विकल्प रहता है। हालांकि, प्रचार की गतिविधियां अंतिम दिन तक जारी रहती हैं, जिससे मतदाता पर अंतिम समय तक विभिन्न पक्षों का प्रभाव बना रहता है।

प्रचार की रणनीतियों में अंतर

भारत और अमेरिका की चुनावी प्रक्रिया में प्रचार की रणनीतियों में भी बड़ा अंतर है। भारत में राजनीतिक दल चुनाव प्रचार में रैलियों, रोड शो, पोस्टर-बैनर, टेलीविजन और रेडियो विज्ञापन जैसे पारंपरिक तरीकों का उपयोग करते हैं। सोशल मीडिया का भी तेजी से उपयोग बढ़ रहा है, लेकिन प्रचार की समय सीमा निर्धारित होने के कारण इसे भी समय पर बंद करना पड़ता है।

अमेरिका में, खासकर आधुनिक युग में, प्रचार अधिक डिजिटल और दीर्घकालिक होता है। सोशल मीडिया, टीवी डिबेट्स, और व्यक्तिगत अभियान की मदद से उम्मीदवार मतदाताओं तक पहुंचते हैं। प्रचार लंबा चलता है, और आखिरी क्षण तक उम्मीदवार जनता को अपने पक्ष में करने की कोशिश करते रहते हैं।

मतदान प्रणाली में अंतर

भारत में मतदान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के माध्यम से होता है, जबकि अमेरिका में पेपर बैलट्स, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम, और मेल-इन बैलट्स का उपयोग होता है। भारत में एक निश्चित दिन पर मतदान होता है, जबकि अमेरिका में यह प्रक्रिया कई हफ्तों तक फैली होती है।

निष्कर्ष:

भारत और अमेरिका की चुनावी प्रक्रियाओं में स्पष्ट अंतर होने के बावजूद, दोनों लोकतंत्र की भावना को बनाए रखते हुए अपने-अपने ढंग से चुनाव कराते हैं। भारत में प्रचार के समाप्त होने के बाद मतदाता को सोचने का समय दिया जाता है, जबकि अमेरिका में प्रचार और मतदान एक साथ चलते हैं, जिससे मतदाता आखिरी समय तक चुनावी माहौल में बना रहता है। इन दोनों प्रणालियों के अपने-अपने फायदे और चुनौतियां हैं, लेकिन अंततः दोनों देशों का लक्ष्य स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना होता है।

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