अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया: कॉकस, प्राइमरी और इलेक्टोरल कॉलेज

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,28 अक्टूबर। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया जटिल और बहुस्तरीय है, जिसमें कई महत्वपूर्ण चरण शामिल होते हैं। इन चरणों में कॉकस, प्राइमरी और इलेक्टोरल कॉलेज जैसी प्रक्रियाएँ शामिल हैं। यह प्रक्रिया भारत की चुनावी प्रणाली से काफी भिन्न है, जहां आम चुनावों में सीधे वोटिंग के माध्यम से नेता चुने जाते हैं। आइए, जानते हैं अमेरिका में राष्ट्रपति चुनने की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से।

राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया

  1. प्राथमिक चुनाव (Primaries):
    • प्राथमिक चुनावों का उद्देश्य राजनीतिक दलों के भीतर राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का चयन करना होता है। अमेरिका में दो प्रमुख राजनीतिक दल हैं: डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन।
    • प्राथमिक चुनाव में मतदाता अपने दल के उम्मीदवार को चुनते हैं। यह प्रक्रिया आमतौर पर जनवरी से जून तक होती है।
  2. कॉकस (Caucus):
    • कॉकस एक प्रकार का असेंबली या बैठक होती है, जिसमें पार्टी के सदस्य एकत्र होते हैं और अपने पसंदीदा उम्मीदवार का चयन करते हैं। कॉकस प्रक्रिया विभिन्न राज्यों में भिन्न होती है और इसमें अधिक संवादात्मक और सामुदायिक भागीदारी होती है।
    • कॉकस आमतौर पर प्राथमिक चुनावों से पहले होते हैं और कुछ राज्यों में ही होते हैं।
  3. डेलिगेट्स का चयन:
    • प्राथमिक चुनाव और कॉकस के बाद, चुने गए उम्मीदवार डेलिगेट्स को चयनित करते हैं। ये डेलिगेट्स पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेते हैं और राष्ट्रपति पद के लिए आधिकारिक उम्मीदवार का चयन करते हैं।
  4. राष्ट्रीय सम्मेलन (National Convention):
    • हर पार्टी का राष्ट्रीय सम्मेलन होता है, जिसमें पार्टी के चुने गए डेलिगेट्स एकत्र होते हैं। यहाँ वे राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के उम्मीदवारों का आधिकारिक रूप से चयन करते हैं।
    • सम्मेलन के बाद, पार्टी अपने उम्मीदवार का प्रचार शुरू करती है।
  5. जनरल इलेक्शन (General Election):
    • आम चुनाव नवंबर के पहले मंगलवार को आयोजित होते हैं। इस चुनाव में मतदाता राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए वोट करते हैं, लेकिन वे सीधे उम्मीदवार को नहीं चुनते।
  6. इलेक्टोरल कॉलेज (Electoral College):
    • अमेरिका में राष्ट्रपति चुनने की अंतिम प्रक्रिया इलेक्टोरल कॉलेज है। प्रत्येक राज्य के पास एक निश्चित संख्या में इलेक्टर्स होते हैं, जो राज्य की जनसंख्या के आधार पर निर्धारित होते हैं।
    • आम चुनाव में, विजेता उम्मीदवार को उस राज्य के इलेक्टर्स के वोट मिलते हैं। कुल मिलाकर, 538 इलेक्टर्स होते हैं, और किसी उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनने के लिए 270 इलेक्टोरल वोटों की आवश्यकता होती है।

भारत में राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया

भारत में राष्ट्रपति का चुनाव एक अलग प्रक्रिया है, जो निम्नलिखित चरणों में होती है:

  1. चुनाव आयोग:
    • भारत में राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया चुनाव आयोग द्वारा नियंत्रित होती है।
  2. मतदाता:
    • भारतीय राष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों और राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा किया जाता है।
  3. प्रतिनिधित्व और वोटिंग:
    • भारतीय राष्ट्रपति का चुनाव भी एक गुप्त मतदान के माध्यम से होता है। प्रत्येक मतदाता को उसके राज्य के आबादी के अनुपात में वोट देने का अधिकार होता है।
  4. निर्वाचन परिणाम:
    • भारत में राष्ट्रपति बनने के लिए किसी उम्मीदवार को सबसे अधिक मत प्राप्त करने होते हैं।

अमेरिका और भारत के चुनावी प्रक्रियाओं में अंतर

  1. चुनाव प्रणाली:
    • अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव सीधे मतदाता द्वारा नहीं होता, जबकि भारत में राष्ट्रपति का चुनाव संसद और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा किया जाता है।
  2. इलेक्टोरल कॉलेज:
    • अमेरिका में इलेक्टोरल कॉलेज का सिस्टम है, जबकि भारत में सीधे मतों के आधार पर चुनाव होता है।
  3. प्रारंभिक चयन प्रक्रिया:
    • अमेरिका में प्राथमिक और कॉकस की प्रक्रियाएँ होती हैं, जो भारत में नहीं हैं। भारत में पार्टियों द्वारा सीधे उम्मीदवारों का चयन किया जाता है।

निष्कर्ष

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया जटिल और बहुस्तरीय है, जिसमें कॉकस, प्राइमरी और इलेक्टोरल कॉलेज जैसी प्रक्रियाएँ शामिल हैं। जबकि भारत में राष्ट्रपति का चुनाव अधिक सीधा है और यह संसद और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा किया जाता है। इन दोनों देशों की चुनावी प्रक्रियाएँ उनके राजनीतिक ढांचे और सांस्कृतिक संदर्भों के अनुसार विकसित हुई हैं, जो उन्हें एक-दूसरे से भिन्न बनाती हैं।

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