“महाराष्ट्र में ऐसे नारों की जरूरत नहीं”: अजित पवार के बाद ‘बटेंगे तो कटेंगे’ पर पंकजा मुंडे ने लिया अलग रुख

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,14 नवम्बर। महाराष्ट्र की राजनीति में हाल ही में छिड़े एक विवादास्पद नारे “बटेंगे तो कटेंगे” को लेकर अब राज्य की प्रमुख नेताओं में विचारों का टकराव देखने को मिल रहा है। इस नारे पर पहले अजित पवार ने अपना विरोध जताया था, और अब भाजपा की वरिष्ठ नेता पंकजा मुंडे ने भी इस पर असहमति जताई है।

पंकजा मुंडे ने कहा, “महाराष्ट्र की राजनीति में हमें ऐसी भाषा और नारों की जरूरत नहीं है। यहां की संस्कृति और राजनीति में संवाद और समझ का अहम स्थान है, और हमें इसे बरकरार रखना चाहिए।” उनका मानना है कि किसी भी राज्य के विकास के लिए ऐसे भड़काऊ नारों की जगह नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह लोगों के बीच विभाजन पैदा कर सकते हैं।

यह नारा भाजपा के कुछ नेताओं और समर्थकों के बीच चर्चा में आया था, जिसमें क्षेत्रीय और सामाजिक आधार पर विभाजन का संकेत दिया गया था। पंकजा मुंडे का बयान इस लिहाज से महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह भाजपा की एक महत्वपूर्ण नेता मानी जाती हैं और उनकी राय का असर पार्टी के अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं पर भी पड़ सकता है।

अजित पवार ने भी इस नारे पर आपत्ति जताते हुए इसे महाराष्ट्र की राजनीतिक संस्कृति के खिलाफ बताया था। उनका मानना था कि यह नारा समाज में विभाजन की भावना बढ़ा सकता है, जो किसी भी राज्य या देश के विकास के लिए हानिकारक है।

महाराष्ट्र की राजनीति में इस तरह के मुद्दों को लेकर बढ़ते विवादों के बीच अब यह देखना होगा कि भाजपा और अन्य दल इस पर क्या रुख अपनाते हैं।

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