नई दिल्ली: पुण्यश्लोक देवी अहिल्याबाई होलकर की जयंती के 300वें वर्ष के पावन अवसर पर पुण्यश्लोक लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर त्रिशती समारोह समिति, दिल्ली ने 14 नवंबर 2024 को नई दिल्ली में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री कृष्ण गोपाल जी ने कहा:
- हमारा देश 7वीं शताब्दी से संकट में था, और 11वीं सदी से भयंकर आतंक का सामना कर रहा था।
- इसी काल में शिवाजी महाराज ने हिंदवी स्वराज की नींव रखी, जिसने जनमानस को प्रेरित किया।
- अहिल्याबाई होलकर ने इसी राष्ट्रभक्ति को आगे बढ़ाते हुए, राष्ट्रबोध और स्वाभिमान को पुनः स्थापित करने का कार्य किया।
- उन्होंने 200 स्थानों पर मंदिरों, घाटों, और धार्मिक स्थलों का निर्माण कराया, जो राष्ट्र के श्रद्धा स्थानों को पुनः स्थापित करने का प्रतीक था।
महिलाओं के लिए प्रेरणा:
- श्री कृष्ण गोपाल ने कहा कि भारतीय नारी की प्रेरणा जीजाबाई थीं, और उनकी कड़ी में अगला नाम अहिल्याबाई का है।
- अहिल्याबाई ने शिवाजी के विचारों और जीजाबाई के सपनों को साकार करने का संकल्प लिया।
सभा की अध्यक्षा:
पूर्व आईपीएस अधिकारी श्रीमती विमला मेहरा जी ने कहा:
- हमें अहिल्या माता से प्रेरणा लेकर उनके आदर्शों पर चलना चाहिए, और अपने समाज व देश को उन्नति की ओर ले जाना चाहिए।
कार्यक्रम के अन्य आकर्षण:
- पुस्तक विमोचन:
- अहिल्याबाई होलकर पर दो नई पुस्तकों का विमोचन किया गया।
- प्रदर्शनियां:
- अहिल्याबाई के जीवन पर बनी पेंटिंग और पुस्तकों की प्रदर्शनी।
- सांस्कृतिक प्रस्तुतियां:
- एकल गीत और छात्रा आइसा द्वारा एकल नाट्य प्रस्तुति।
- अतिथियों का स्वागत:
- तुलसी का पौधा और महेश्वरी साड़ी भेंट कर सम्मान।
विशिष्ट अतिथिगण:
- डॉ. अशोक त्यागी: सचिव, पुण्यश्लोक लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर त्रिशती समारोह समिति।
- डॉ. उपासना अरोड़ा: समिति की अध्यक्षा।
- उदय राजे होलकर: कार्याध्यक्ष।
- प्रो. योगेश सिंह: संरक्षक, दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति।
- लेखक मधुसुदन होलकर।
समारोह की विशेषताएं:
इस कार्यक्रम में समाज के विभिन्न क्षेत्रों के 1000 से अधिक प्रबुद्ध जन उपस्थित थे, जिनमें 300 से अधिक महिलाएं शामिल थीं।
लोकमाता अहिल्याबाई का जीवन:
- जन्म: 31 मई 1725, चौंडी, महाराष्ट्र।
- उन्होंने अपने शासनकाल में न्यायप्रियता, कुशल प्रशासन और सनातन धर्म के पुनर्जागरण के लिए कार्य किया।
- 31 मई 2024 से उनका 300वां जयंती वर्ष प्रारंभ हुआ है।
उनका जीवन सादगी, धर्मनिष्ठा और राष्ट्रीय स्वाभिमान का प्रतीक है। उनके दिखाए मार्ग पर चलना ही उनकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।