दिल्ली संकट में सांसें: चार सिगरेट के बराबर फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रही हवा, डॉक्टर बोले- अपनाएं कोरोना वाला तरीका

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,16 नवम्बर।
दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में हवा की गुणवत्ता इस समय “गंभीर” श्रेणी में पहुंच गई है, और इसका असर न केवल बाहरी गतिविधियों पर, बल्कि लोगों की सेहत पर भी पड़ने लगा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस घातक प्रदूषण से फेफड़े गंभीर रूप से प्रभावित हो रहे हैं, और यह हर व्यक्ति के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बन चुका है। दिल्ली की हवा में प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि इसे एक दिन की हवा का सेवन करना, लगभग चार सिगरेट के बराबर फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है। डॉक्टरों की चेतावनी के अनुसार, लोग कोरोना महामारी के दौरान अपनाए गए ‘स्वास्थ्य सुरक्षा उपायों’ को ही प्रदूषण से बचने के लिए भी अपनाएं।

दिल्ली की हवा कितनी खतरनाक है?

दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) कई दिनों से 400 से ऊपर बना हुआ है, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। इस प्रदूषण से न केवल बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा या अन्य श्वसन संबंधी रोगों से पीड़ित लोगों को खतरा है, बल्कि स्वस्थ व्यक्ति भी इससे अछूते नहीं हैं।

  • फेफड़ों पर असर: विशेषज्ञों का कहना है कि एक दिन की घातक हवा में सांस लेना शरीर के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। यह चार सिगरेट पीने के बराबर फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। प्रदूषण के कारण श्वसन तंत्र में सूजन, कफ, खांसी, अस्थमा और अन्य श्वसन रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
  • दिल्ली के प्रदूषण के कारण: प्रदूषण के कारणों में वायु में घुलने वाले धुएं, औद्योगिक धुंआ, वाहनों का उत्सर्जन और पराली जलाने जैसे कारक प्रमुख हैं।

डॉक्टरों की सलाह: कोरोना जैसी सुरक्षा अपनाएं

इस संकट में डॉक्टरों ने लोगों से अपील की है कि वे कोरोना महामारी के दौरान की गई स्वास्थ्य सुरक्षा विधियों को प्रदूषण से बचने के लिए भी अपनाएं।

  • मास्क का उपयोग: जैसा कि कोरोना काल में मास्क पहनना अनिवार्य था, वैसे ही प्रदूषण के समय भी उच्च गुणवत्ता वाले मास्क (एन95 या केन95) का उपयोग किया जाना चाहिए। यह मास्क वायु में घुली धूल, गैस और सूक्ष्म कणों से बचाता है।
  • घर के अंदर रहना: जब प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक हो, तो घर के अंदर रहना सबसे सुरक्षित विकल्प है। घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल भी फायदेमंद हो सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो अस्थमा या अन्य श्वसन संबंधित समस्याओं से ग्रसित हैं।
  • खुली हवा में कम जाना: अगर बाहर जाना बेहद जरूरी हो, तो कोशिश करें कि दिन के उन घंटों में बाहर न जाएं जब प्रदूषण सबसे अधिक होता है, जैसे कि सुबह जल्दी और शाम के समय।

स्वास्थ्य पर प्रभाव

  • देरगामी प्रभाव: लगातार प्रदूषण के संपर्क में रहने से दिल और फेफड़ों से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। इससे श्वसन तंत्र में सूजन, एलर्जी, कफ की समस्या और अस्थमा की समस्याएं बढ़ सकती हैं।
  • मानसिक स्वास्थ्य: प्रदूषण का मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। प्रदूषित हवा के कारण थकान, सिरदर्द और चिंता जैसी समस्याएं भी बढ़ सकती हैं।
  • बच्चों और बुजुर्गों पर प्रभाव: बच्चों और बुजुर्गों में प्रदूषण के असर का खतरा ज्यादा होता है, क्योंकि उनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और उनका श्वसन तंत्र कमजोर होता है।

दिल्ली सरकार की प्रतिक्रिया

दिल्ली सरकार ने भी इस गंभीर स्थिति को देखते हुए प्रदूषण कम करने के लिए कई उपायों की घोषणा की है।

  • ऑड-ईवन योजना: दिल्ली सरकार ने वाहनों के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ऑड-ईवन योजना लागू की है, जिससे हर दिन आधे वाहन सड़कों पर उतरने के लिए होते हैं।
  • पराली जलाने पर प्रतिबंध: सरकार ने पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने पर सख्ती से कार्रवाई की योजना बनाई है, जिससे दिल्ली में प्रदूषण को कम किया जा सके।
  • हरित क्षेत्र का विस्तार: दिल्ली सरकार ने हरित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए वृक्षारोपण अभियान भी चलाया है, ताकि वायु गुणवत्ता में सुधार किया जा सके।

निष्कर्ष

दिल्ली का प्रदूषण अब एक गंभीर संकट बन चुका है, जिसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। यह केवल एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं है, बल्कि यह समाज के हर वर्ग के लिए एक स्वास्थ्य संकट बन चुका है। डॉक्टरों और विशेषज्ञों की सलाह को गंभीरता से लेते हुए हमें प्रदूषण से बचने के लिए कोरोना जैसी सुरक्षा उपायों को अपनाना चाहिए। इस संकट से उबरने के लिए सरकार, प्रशासन और नागरिकों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.