“भारतीय संविधान दिवस”

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डॉ० ममता  पाण्डेय

“अगर आप सभी में समर्थ है तो अपने देश का संविधान स्वयं बनाकर दिखाएं जिस पर सभी की सहमति हो।”

(*लॉर्ड  बर्कन हेड)

 

भारतीय शासन की “गीता”कहे जाने वाले संविधान को भारतीय संविधान सभा द्वारा  अंगीकृत ; अधिनियमित और आत्मार्पित करने  के 75 वें वर्ष में प्रवेश करने के दिवस  को आज “हम भारत के लोग”  समस्त नागरिक   एक  राष्ट्रीय पर्व के रूप में मना रहे हैं भारतीय संविधान दिवस। विश्व में संविधान का जनक अमरीका है इसका श्रेय  चौथे राष्ट्रपति जेम्स  मेडिसन  को  है। संविधान किसी भी देश के शासन का आधार ;मौलिक नियमों का समूह होता है जिससे देश का शासन संचालित होता है। भारतीय संविधान एक लिखित संविधान है। इसका निर्माण कैबिनेट मिशन योजना (1946 )के तहत गठित एक संविधान सभा द्वारा किया गया। संविधान सभा के सदस्य ही प्रथम संसद के सदस्य बने। 389  सदस्यों में 296 सदस्य प्रांतीय विधानसभा सीट से एकल संक्रमणीय मत द्वारा निर्वाचित किए गए। रियासतों के लिए 93 सीटें आरक्षित थी।

संविधान सभा के विचार का सर्वप्रथम प्रतिपादन सन 1895 में स्वराज विधेयक के द्वारा बाल गंगाधर तिलक के निर्देशन में हुआ। सन 1925 में महात्मा गांधी जी की अध्यक्षता में कॉमनवेल्थ आफ इंडिया बिल प्रस्तुत किया जो भारत की संवैधानिक प्रयास की प्रथम रूपरेखा थी। 1927 में साइमन कमीशन भारत में संवैधानिक सुधारो हेतु गठित किया गया इसमें किसी भारतीय को सम्मिलित नहीं किया गया। भारतीयों ने साईमन कमीशन का बहिष्कार किया ।इस पर लॉर्ड बरकन हेड ने भारतीय नेताओं को चुनौती दी और कहा “अगर आप सभी में सामर्थ्य तो अपने देश का संविधान बनाकर दिखाएं जिस पर सभी की सहमति हो।” चुनौती को स्वीकार करते हुए

कांग्रेस ने सर्वदलीय सम्मेलन आयोजित किया जिसमें भारत के भाव संविधान का निर्माण कर लिया गया ।संविधान का प्रारूप तैयार करने का दायित्व पंडित मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक गठित समिति को सोपा गया। इस समिति की रिपोर्ट “नेहरू रिपोर्ट “(1928 )संविधान निर्माण की दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है। 1934 में वामपंथी एम एन राय द्वारा भी संविधान सभा हेतु पहल की गई।

1935 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा भी संविधान सभा की पहल की गई। 1938 मैं कांग्रेस के हरिपुरा अधिवेशन में इस मांग को दोहराते हुए इस आशा का प्रस्ताव पारित किया गया एक स्वतंत्र देश के  संविधान निर्माण का एकमात्र तरीका संविधान सभा का गठन है। 1940 के अगस्त प्रस्ताव को इसमें मान लिया गया।

1946 में ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री इटली ने ब्रिटिश मंत्रिमंडल के तीन सदस्यों (लॉर्ड पेथिक लॉरेंस ; सर  स्टेफोर्ड क्रिप्स और ए.वी. एलेग्जेंडर )को भारत भेजा। इसे केबिनेट मिशन  कहते हैं। कैबिनेट मिशन का उद्देश्य भारत के राजनीतिक गतिरोध को दूर करना था। प्रमुख राजनीतिक दलों और वर्गों से भेंट करने के बाद मिशन ने अपने सुझावों की घोषणा कर दी कैबिनेट ने यह भी कहा था कि जब तक नया संविधान लागू न हो तब तक एक अंतरिम सरकार कार्य करेगी जिसमें सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि होंगे।

कैबिनेट मिशन 1946 के आधार पर 24 अगस्त 1946 को अंतरिम सरकार की घोषणा की गई और 2 सितंबर 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू सहित 11 अन्य सदस्यों ने पद की शपथ ग्रहण की। जुलाई 1946 में संविधान सभा के लिए निर्वाचन हुए ।  सभी सदस्यों ने अपने संविधान सभा के प्रतीक के रूप में “हाथी “को चुना क्योंकि हाथी  का  “जम्बू द्वीप ” आर्या वर्त;भारत खंड का    पावन ; ऐतिहासिक  और समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास है इसलिए भारत की संविधान सभा ने भारतीय संस्कृत  बुद्धि और ज्ञान  ;एकता और सहयोग  के प्रतीक के रूप में  भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत  के  रूप  हाथी को संविधान सभा  में मुहर  (प्रत्येक चिन्ह) के रूप में  चुना ।

संविधान सभा को संबोधित करने वाले प्रथम  व्यक्ति जे. बी.:कृपलानी जी थे। उन्होंने फ्रांस की तरह इस परंपरा का पालन किया  कि संविधान सभा के प्रथम दिन की शुरुआत सबसे वरिष्ठ सदस्य डॉ० सच्चिदानंद सिन्हा जी   के उद्बोधन से की।

संविधान सभा का प्रथम अधिवेशन 9 दिसंबर 1946 को संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में प्रारंभ हुआ डॉ० सच्चिदानंद सिन्हा को सर्वसम्मति से अस्थाई अध्यक्ष चुना गया संविधान सभा की पहली बैठक में 210 सदस्य उपस्थित थे 11 दिसंबर 1946 की बैठक में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को सभा का स्थाई अध्यक्ष चुना गया बी एन राव को संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार के पद पर नियुक्त किया गया 13 दिसंबर 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपना प्रसिद्ध उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत कर संविधान की आधारशिला रखी यह उद्देश्य प्रस्ताव 23 जनवरी 1947 को पारित किया गया। इस प्रस्ताव में संविधान सभा ने निश्चय किया कि भारत एक पूर्णतया स्वतंत्र और पूर्ण प्रभुत्व संपन्न गणराज्य होगा जिसके द्वारा स्वयं अपने संविधान का निर्माण किया जाएगा। के.एम मुंशी ने कहा था” नेहरू का उद्देश्य प्रस्ताव संबंधी यह प्रस्ताव ही हमारे स्वतंत्र गणराज्य की जन्म कुंडली है।”

संविधान निर्माण के कार्य को सुगम करने के लिए संविधान सभा ने अनेक महत्वपूर्ण समितियां का निर्माण किया इन्हें दो भागों में विभाजित किया गया प्रथम वर्ग : इन समितियां में संविधान निर्माण की प्रक्रिया के प्रश्नों को हल करने के लिए गठित की गई थी इनमें प्रक्रिया समिति; वार्ता समिति; संचालन समिति; एवं कार्य समिति विशेष थी।

दूसरे वर्ग में संविधान निर्माण करने वाली समितियां थी संघ संविधान समिति प्रांतीय संविधान समिति संघ शक्ति समिति मूल अधिकारों एवं अल्पसंख्यकों के आदि से संबंधित समिति इन सबके अतिरिक्त प्रारूप समिति भी थी जिस पर संविधान को अंतिम रूप देने का दायित्व था।प्रारूप समिति का गठन 29 अगस्त 1947 को डॉ आंबेडकर के अध्यक्षता में हुआ। ड्राफ्ट कमेटी ने अपना कार्य 30 अगस्त 1947 को ही आरंभ कर दिया था। इन समस्त समितियां ने तीन वर्ष तक अथक प्रयास कर अपना प्रारूप तैयार कर प्रारूप समिति को सौंपा।

प्रारूप समिति ने अपना प्रतिवेदन 21 दिसंबर 1947 को संविधान सभा के अध्यक्ष को सौंप दिया ।4 नवंबर 1948 को उक्त रिपोर्ट को संविधान सभा में प्रस्तुत किया गया संविधान सभा के प्रारूप पर एक वर्ष तक विचार विमर्श हुआ।

विशेष उल्लेखनीय यह है कि डॉ०अंबेडकर ने स्वयं  स्वीकार किया की  इस प्रारूप  का श्रेय डॉ० बी एन राव संवैधानिक सलाहकार को दिया जाता है। संविधान सभा के सलाहकार श्री बी एन राव ने अनेक देशों की यात्राएं कर वहां की राजनीतिक संस्थाओं का व्यवहारगत निरीक्षण किया था तथा भारतीय संदर्भ में जो उचित लगा उसे संविधान में समायोजित करने की सलाह दी। भारतीय परिपेक्ष  में ढालने  का महत्वपूर्ण प्रयास संविधान की प्रारूप समिति द्वारा कुशलता से किया गया। भारतीय संविधान की प्रस्तावना की प्रेरणा अमेरिकी संविधान से ली गई है ( वी द पीपुल ऑफ यूनाइटेड स्टेट्स) भारत (वी द पीपुल ऑफ इंडिया) भारतीय संविधान में प्रस्तावना का विचार अमेरिका के संविधान से लिया गया है वही प्रस्तावना की भाषा  का विचार ऑस्ट्रेलिया संविधान से लिया गया है। भारतीय संविधान में ब्रिटिश संविधान संयुक्त राज्य अमेरिका; आयरलैंड !कनाडा ;आस्ट्रेलिया; जर्मनी एवं भारत शासन अधिनियम 1935 की व्यवस्थाएं समायोजित की गई हैं। 26 नवंबर 1949 को  संविधान सभा अध्यक्ष के भारतीय संविधान के प्रारूप  में हस्ताक्षर हुए और संविधान को पारित किया गया। संविधान सभा के 11 अधिवेशन हुए और 165 दिन उसकी बैठकें हुई । जिनमें से 114 दिन संविधान  (ड्रॉफ्ट )प्रारूप पर चर्चा हुई।प्रस्तावित संविधान की रिपोर्ट पर 7635 संशोधन पेश किए गए उनमें से 2473 संशोधनों पर विचार हुआ।

अतः स्पष्ट है कि संविधान निर्माण में कुल मिलाकर दो वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा।   विभिन्न अध्ययनों के आधार पर कहा जा सकता है कि  विश्व के अन्य संविधानों के निर्माण में लगे समय की तुलना में भारतीय संविधान के निर्माण में बहुत कम समय लगा।इस कार्य पर लगभग 64 लाख  रुपए व्यय किए गए। भारतीय संविधान  24 जनवरी 1950 को  284 सदस्यों के हस्ताक्षर हुए । इनमें 15 महिलाएं थीं ।पहली सदस्य अम्मू स्वामी नाथन थीं।भारतीय संविधान में 395 अनुच्छेद 22 भाग और आठ अनुसूचियां थी। वर्तमान समय में भारतीय संविधान में 448 अनुच्छेद 25 भाग और 12 अनुसूचियां हैं । संविधान की कुछ धाराओं को 26 नवंबर 1947 को अधिनियमित कर दिया गया नागरिकता संबंधी अधिनियम लागू हो गए। (अनुच्छेद 5;6;7;8;9 60;324; 366 367 379 ;380; 388; 391; 392; 39;3 394) भारतीय संविधान के कुल 16 अनुच्छेद  26 नवंबर को अधिनियमित हुए । गणतंत्र भारत में 26 जनवरी 1950 से संविधान अमल में लाया गया । अतः दृढ़ संकल्प होकर संविधान सभा ने 26 .11.49 को (मिती शीर्षमार्ग शीर्ष शुक्ल  सप्तमी  संवत् दो हजार छः विक्रमी ) को  ए तद द्वारा इस संविधान को  अंगीकृत; अधिनियमित और आत्मार्पित किया  इसलिए  आज के दिन को यानी 26 नवंबर को राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में मनाया जाता है रहा है ।19 नवंबर 2015 को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने के भारत सरकार के निर्णय को अधिसूचित किया है। संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष; जिसे कोलंबिया विश्वविद्यालय ने दुनिया का नंबर वन स्कॉलर घोषित किया था; 24 विषयों में मास्टर 9 भाषाओं का ज्ञान रखने वाले” ज्ञान के प्रतीक” डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के 125 वीं जयंती वर्ष के रूप में 26 नवंबर 2015 को पहली बार भारत सरकार द्वारा संविधान दिवस संपूर्ण भारत में मनाया  गया । अतः  अब 26 नवंबर 2015 से भारत सरकार द्वारा   आज के दिन  को  संपूर्ण भारत  में “संविधान दिवस” के रूप में मनाया जाता है।

संविधान दिवस मनाने का भारत सरकार का उद्देश्य यह भी है कि कि हम भारतीय जाने कि भारतीय संविधान की मूल प्रति की क्या-क्या विशेषताएं हैं। हम भारतीय ज्ञान परंपरा एवं संस्कृति को भी जाने एवं  पहचाने।उल्लेखनीय है कि भारतीय संविधान विश्व का सर्वाधिक विस्तृत लिखित संविधान है ।यह हिंदी अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लिखा गया है । भारतीय संविधान की मूल प्रति में  251 पृष्ठ की है ।इसका भार 3.75 ग्राम है। 16 इंच चौड़ी;22 इंच लंबी है । चर्म शीट की बनी है।  भारतीय संविधान के प्रथम पृष्ठ पर भगवान राम का चित्र अंकित है रामनवमी की शुभकामनाओं के समय माननीय प्रधानमंत्री जी ने उद्बोधन में कहा

भगवान श्री राम का देश के संविधान से विशेष संबंध है। जो हिंदू राष्ट्र और राम राज्य का प्रतीक है। विशेष बात यह है की मूल प्रति के भाग तीन मौलिक अधिकारों से जुड़े अध्याय हैं भगवान श्री राम  सांस्कृतिक; नैतिक और राजनीतिक मूल्यों के आदर्श रहे हैं। भारतीय संविधान की मूल प्रति में भगवान श्री राम समेत भारतीय संस्कृति से जुड़े 22 देव पुरुषों के चित्र शामिल हैं। यह चित्रकारी मशहूर चित्रकार शांतिनिकेतन से जुड़े नंदलाल बोस और उनके शिष्यों द्वारा की गई है ।गीता उपदेश श्री कृष्ण भगवान ;बुद्ध ;लक्ष्मी बाई; वीर शिवाजी; अकबर; अर्जुन; टीपू सुल्तान ;नटराज; धरती पर गंगा मैया को लाने वाले भागीरथ जी को भी स्थान दिया गया है । जिस संविधान को बनने में 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन लगे उसी  संविधान को लिखने में 6 महीने लगे कैलीग्राफी का खानदानी पेशे वाले भारतीय सुलेखक श्री प्रेम बिहारी नारायण  रायजादा द्वारा पेन होल्डर नंबर 303 और 254वैसे इटैलिक लिखावट खूबसूरत कैलीग्राफी तरीके से चर्म पत्र शीट पर काली स्याही से लिखा गया । लिखी गई प्रतियों  को देहरादून सर्वे आफ इंडिया ने छापा। इतने वर्षों तक फलालेन के कपड़े में लपेटकर नेप्थलीन की गोलियों के साथ रखा गया था।

1994 में अमेरिका की तरह भारत सरकार ने भी तय किया कि हिलियम गैस के केस में एक निश्चित तापमान पर संरक्षित रखा गया है मतलब नमी बनाए रखेगी हिलियम गैस He (Noble gas) है यह बहुत महंगी है इसका उपयोग एयरशिप कायोजेनिक इंजन में भी होता है इसमें जंग नहीं लगती। वैज्ञानिको द्वारा तैयार किया गया गैस चैंबर इसके लिए अमेरिका के गेटी इंस्टीट्यूट से समझौता किया फिर भारत की नेशनल फिजिकल लाइब्रेरी और गेटी ने मिलकर संविधान की कॉपी के लिए खास तरह का गैस चैंबर तैयार किया। भारतीय संविधान की मूल प्रति भारतीय संसद की लाइब्रेरी में हीलियम से भरे चैंबर में रखी गई है। प्रश्न यह उठता है कि गैस चैंबर ही क्यों?क्योंकि हीलियम एक निष्क्रिय गैस होती है वह ना तो कोई क्रिया करती है और ना ही किसी अन्य तत्वों के द्वारा क्रिया होने देती है। (क्योंकि प्राकृतिक तौर पर तो हर पदार्थ के साथ कार्बनिक या अकार्बनिक प्रतिक्रिया होती है और समय के साथ उसका क्षय होने लगता है) इसलिए इस तरह के चैंबर में रखी जाने वाली चीज लंबे समय तक सुरक्षित रहती हैं। भारतीय संविधान काली स्याही से लिखा गया है स्याही का ऑक्सीकरण होता है ।यानी समय के साथ लिखी हुई स्याही रंग फीका और (ब्लर) पड़ने लगता है। इसलिए इसे सही मायने में नमी आद्रता देनी होती है। संविधान की कॉपी के लिए 50 ग्राम आद्रता प्रति क्यूबिक मीटर की जरूरत होती है इसलिए एयर टाइट चैंबर को इस तरह तैयार किया गया है कि इसमें एक निश्चित अनुपात में आद्रता बनाकर रखी जाए।

उल्लेखनीय है कि हर साल चैंबर की गैस निकल जाती है और नई हिलियम गैस भरी जाती है इस चैंबर को हर दो महीने में निरीक्षण किया जाता है और इसके अंदर के माहौल को सीसीटीवी कैमरे  द्वारा जांच के दायरे में रखा जाता है । भारतीय संविधान की प्रति का संरक्षण करना देश का  प्रथम कर्तव्य  है क्योंकि हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान है। आज के दिन को विशेष बनाने के लिए भारत के दस हजार युवा भारतीय संविधान की “प्रस्तावना” का पाठ  कर भारतीय संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता  ; देश के प्रति अपनी जवाबदेही  की प्रेरक है। संपूर्ण भारतवासियों को भारतीय संविधान दिवस की हार्दिक  शुभकामनाएं । संविधान दिवस अमर रहे!

 

 

डॉ० ममता  पाण्डेय

सहायक प्राध्यापक राजनीति विज्ञान

पंडित अटल बिहारी वाजपेई

शासकीय महाविद्यालय जयसिंहनगर जिला शहडोल

(मध्य प्रदेश)

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