महाराष्ट्र में पावर शेयरिंग फॉर्मूला तय: BJP को 22 मंत्रालय, शिंदे और अजित पवार के हिस्से में क्या आया?

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,3 दिसंबर। महाराष्ट्र में सत्ता के समीकरण एक बार फिर चर्चा में हैं। राज्य में भारतीय जनता पार्टी (BJP), एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) के गठबंधन सरकार के बीच पावर शेयरिंग फॉर्मूला सामने आया है। इस फॉर्मूले के तहत तीनों दलों में मंत्रालयों का बंटवारा किया गया है।

BJP को सबसे बड़ा हिस्सा

पावर शेयरिंग फॉर्मूले के तहत बीजेपी ने सबसे बड़ा हिस्सा हासिल किया है।

  • 22 मंत्रालय बीजेपी के पास रहेंगे, जिनमें गृह, वित्त, और शहरी विकास जैसे महत्वपूर्ण विभाग शामिल हैं।
  • मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में बीजेपी की स्थिति पहले से ही मजबूत थी, और इस बंटवारे से पार्टी की पकड़ और मजबूत होगी।

शिंदे गुट को क्या मिला?

एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट को इस बंटवारे में अपेक्षाकृत कम हिस्सेदारी मिली है।

  • शिंदे गुट को 11 मंत्रालय दिए गए हैं।
  • इनके पास लोक निर्माण विभाग (PWD) और कृषि जैसे अहम विभाग होंगे।
  • हालांकि, शिंदे गुट के कई नेताओं ने इस बंटवारे पर असंतोष व्यक्त किया है, क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें अधिक विभाग मिलेंगे।

अजित पवार गुट का हिस्सा

अजित पवार के नेतृत्व वाला एनसीपी गुट, जिसने हाल ही में गठबंधन में शामिल होकर सभी को चौंका दिया था, को भी महत्वपूर्ण मंत्रालय मिले हैं।

  • एनसीपी को 10 मंत्रालय दिए गए हैं।
  • इनके पास जल संसाधन और महिला एवं बाल विकास जैसे विभाग रहेंगे।
  • अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद पर बरकरार रखा गया है, जिससे उनके गुट की राजनीतिक ताकत बनी रहे।

पावर शेयरिंग पर प्रतिक्रिया

इस बंटवारे पर राजनीतिक हलकों में मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है।

  1. बीजेपी का रुख: बीजेपी ने इसे संतुलित फॉर्मूला बताया है और कहा कि इससे राज्य की जनता को स्थिर और मजबूत सरकार मिलेगी।
  2. शिवसेना (उद्धव गुट): उद्धव ठाकरे के गुट ने इसे शिंदे गुट की “राजनीतिक हार” करार दिया है, क्योंकि उन्हें अपेक्षा से कम हिस्सेदारी मिली।
  3. एनसीपी (शरद पवार गुट): शरद पवार ने इस गठबंधन को “सत्ता के लालच का खेल” करार दिया है और कहा कि यह महाराष्ट्र के हित में नहीं है।

राजनीतिक विश्लेषण

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बंटवारा तीनों दलों के बीच सत्ता को संतुलित रखने का प्रयास है।

  • बीजेपी ने सबसे ज्यादा हिस्सेदारी लेकर अपनी प्राथमिकता और दबदबे को साबित किया है।
  • शिंदे गुट को कम हिस्सेदारी देकर संकेत दिया गया है कि उनकी भूमिका सीमित हो सकती है।
  • अजित पवार गुट को महत्वपूर्ण मंत्रालय देकर एनसीपी के भीतर विभाजन को और गहरा करने की कोशिश की गई है।

निष्कर्ष

महाराष्ट्र में सत्ता का यह नया फॉर्मूला गठबंधन की स्थिरता को सुनिश्चित करने का प्रयास है। हालांकि, बंटवारे से उभरने वाले असंतोष और भविष्य की राजनीतिक खींचतान पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह पावर शेयरिंग फॉर्मूला राज्य में विकास और शासन के मोर्चे पर कितना सफल होता है।

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