‘भू-राजनीति में सेमीकंडक्टर की होगी अहम भूमिका’: इंडिया-जापान फोरम में बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,6 दिसंबर।
नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इंडिया-जापान फोरम में सेमीकंडक्टर उद्योग के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि आने वाले समय में सेमीकंडक्टर भू-राजनीति (जियोपॉलिटिक्स) में एक निर्णायक भूमिका निभाएंगे। उनका कहना था कि वैश्विक स्तर पर सेमीकंडक्टर का उत्पादन, आपूर्ति और नियंत्रण देशों के बीच शक्ति संतुलन को प्रभावित करेगा।

सेमीकंडक्टर का बढ़ता महत्व

सेमीकंडक्टर आधुनिक तकनीक का केंद्र है। यह स्मार्टफोन, कंप्यूटर, इलेक्ट्रिक वाहन, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लेकर रक्षा उपकरणों तक हर क्षेत्र में अनिवार्य है। एस. जयशंकर ने बताया कि दुनिया में तकनीकी और डिजिटल क्रांति के दौर में सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है।

इंडिया-जापान सहयोग का महत्व

फोरम में भारत और जापान के बीच सेमीकंडक्टर क्षेत्र में सहयोग की आवश्यकता पर चर्चा हुई। जयशंकर ने कहा:

  • भारत और जापान दोनों तकनीकी और औद्योगिक शक्ति के क्षेत्र में अग्रणी हैं।
  • जापान के पास सेमीकंडक्टर निर्माण में दशकों का अनुभव है, जबकि भारत इस क्षेत्र में अपनी आधारभूत संरचना को मजबूत कर रहा है।
  • दोनों देशों के बीच सहयोग से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को स्थिरता मिल सकती है।

भारत की रणनीति

जयशंकर ने बताया कि भारत सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है।

  1. पॉलिसी सपोर्ट: भारत सरकार ने ‘सेमीकंडक्टर मिशन’ की शुरुआत की है, जिसके तहत सेमीकंडक्टर विनिर्माण और डिजाइन को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
  2. वैश्विक साझेदारी: अमेरिका, जापान, और यूरोपीय देशों के साथ साझेदारी करके भारत सेमीकंडक्टर क्षेत्र में निवेश को आकर्षित कर रहा है।
  3. टैलेंट डिवेलपमेंट: भारत अपने युवाओं को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने के लिए कौशल विकास कार्यक्रम चला रहा है।

भू-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य

जयशंकर ने कहा कि सेमीकंडक्टर के नियंत्रण को लेकर देशों के बीच होड़ बढ़ रही है।

  • अमेरिका-चीन संघर्ष: अमेरिका और चीन के बीच सेमीकंडक्टर तकनीक को लेकर प्रतिस्पर्धा तीव्र हो चुकी है।
  • वैश्विक निर्भरता: दुनिया का एक बड़ा हिस्सा सेमीकंडक्टर उत्पादन के लिए एशियाई देशों पर निर्भर है। इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार का व्यवधान वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित कर सकता है।
  • भारत की भूमिका: भारत, अपनी रणनीतिक स्थिति और बढ़ती तकनीकी क्षमताओं के कारण, इस प्रतिस्पर्धा में एक अहम भूमिका निभा सकता है।

जापान के साथ संभावनाएं

जापान सेमीकंडक्टर उपकरण और प्रौद्योगिकी में विश्व स्तर पर अग्रणी है। फोरम में इस बात पर जोर दिया गया कि दोनों देशों के बीच साझेदारी से नई प्रौद्योगिकियों का विकास होगा और उत्पादन में बढ़ोतरी होगी।

निष्कर्ष

एस. जयशंकर का यह बयान दर्शाता है कि आने वाले वर्षों में सेमीकंडक्टर भू-राजनीति और वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। भारत और जापान के बीच सहयोग से न केवल दोनों देशों को लाभ होगा, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर करने में भी सहायक साबित होगा।

इस क्षेत्र में निवेश और साझेदारी भारत को वैश्विक तकनीकी शक्ति बनने की दिशा में आगे बढ़ाने में मदद करेगी।

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