शंभू बॉर्डर पर किसान आंदोलन: पुलिस की प्रतिरोध के बावजूद दिल्ली कूच की तैयारी में जुटे किसान

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,10 दिसंबर।
पंजाब के शंभू बॉर्डर पर किसानों और पुलिस के बीच जारी गतिरोध ने फिर से उस समय को ताजा कर दिया, जब पिछले साल कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने राजधानी दिल्ली की ओर कूच किया था। इस बार भी किसानों ने अपनी आवाज बुलंद की है और पुलिस की तमाम कोशिशों के बावजूद वे दिल्ली की ओर बढ़ने के लिए तैयार हैं। यह आंदोलन केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों की निरंतर बढ़ती असहमति को दर्शाता है।

किसान आंदोलन का उद्देश्य

किसान संगठनों का कहना है कि वे अपनी मांगों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जिनमें फसलों के उचित मूल्य, फसल बीमा, एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी और कृषि सुधारों को लेकर सरकार की नीतियों में बदलाव शामिल हैं। शंभू बॉर्डर पर किसानों की एक बड़ी संख्या ने जमावड़ा किया है और वे दिल्ली की ओर मार्च करने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, पुलिस ने किसानों को दिल्ली की ओर बढ़ने से रोकने के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है, लेकिन किसान अपनी मांगों को लेकर दृढ़ हैं।

पुलिस और किसान के बीच तनाव

शंभू बॉर्डर पर पुलिस और किसानों के बीच स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। पुलिस ने इस क्षेत्र में बैरिकेड्स लगाए हैं और रास्तों को अवरुद्ध कर दिया है, ताकि किसानों को दिल्ली की तरफ बढ़ने से रोका जा सके। किसानों का आरोप है कि सरकार और पुलिस उन्हें शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने का अधिकार नहीं दे रही है।

किसान नेताओं ने स्पष्ट किया है कि वे किसी भी हालत में अपनी आवाज को दबाने नहीं देंगे और उनका यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी सभी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। वे दिल्ली में केंद्रीय सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करना चाहते हैं, ताकि उनकी समस्याओं को अधिक व्यापक रूप से उठाया जा सके।

किसानों की तैयारी

किसान आंदोलन में हिस्सा लेने वाले किसानों ने अपनी पूरी तैयारी कर ली है। वे अपने ट्रैक्टरों और अन्य वाहन लेकर शंभू बॉर्डर पर इकट्ठा हुए हैं और आगामी दिनों में दिल्ली की ओर मार्च करने के लिए तैयार हैं। उनके पास आवश्यक खाद्य सामग्री, पानी, चिकित्सा सुविधाएं और अन्य जरूरी सामान भी हैं, ताकि लंबे समय तक चलने वाले आंदोलन में वे किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करें।

किसान नेताओं ने कहा कि अगर सरकार उन्हें दिल्ली की ओर बढ़ने से रोकने का प्रयास करती है, तो वे शांतिपूर्वक, लेकिन दृढ़ता से अपने आंदोलन को जारी रखेंगे। उनकी मांगें साफ हैं – किसानों को राहत देने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे।

सरकार और किसानों के बीच संवाद की कमी

किसान नेताओं का कहना है कि पिछले कई महीनों से वे सरकार से लगातार संवाद करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी समस्याओं की अनदेखी कर रही है। जब से कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन शुरू हुआ था, तब से लेकर अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है। किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों को स्वीकार नहीं किया जाएगा, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।

सरकार के पक्ष से यह कहा जा रहा है कि उन्होंने पहले ही कई योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों की समस्याओं का समाधान करने की कोशिश की है, लेकिन किसान अभी भी संतुष्ट नहीं हुए हैं। हालांकि, सरकार की ओर से संवाद जारी रखने की बात भी कही जा रही है।

राष्ट्रीय स्तर पर असर

शंभू बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन अब राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में है। अगर यह आंदोलन दिल्ली में पंहुचता है, तो इससे पूरे देश में कृषि नीतियों और किसान मुद्दों पर बड़ा दबाव बनेगा। देशभर के किसान संगठनों ने इस आंदोलन में समर्थन देने की बात कही है, जिससे यह आंदोलन और भी व्यापक रूप ले सकता है।

निष्कर्ष

शंभू बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन एक बार फिर देशभर में कृषि नीति और किसान मुद्दों पर बहस को तेज कर सकता है। पुलिस की प्रतिरोध के बावजूद किसानों की दृढ़ता यह दिखाती है कि वे अपनी आवाज को दबाने नहीं देंगे। अब यह देखना बाकी है कि सरकार इस आंदोलन के समाधान के लिए क्या कदम उठाती है और क्या किसानों की समस्याओं का समाधान शीघ्र हो पाएगा।

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