समग्र समाचार सेवा
संभल, 14 दिसंबर।
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 46 साल से बंद पड़े एक प्राचीन मंदिर को फिर से खोल दिया गया है। नखासा थाना क्षेत्र के मोहल्ला दीपा सराय से सटे खग्गू सराय में स्थित इस मंदिर को 1978 के बाद पहली बार आम जनता के दर्शन के लिए खोला गया है। नगर हिंदू सभा के संरक्षक विष्णु शरण रस्तोगी ने कहा कि यह मंदिर अब दोबारा धार्मिक गतिविधियों के लिए उपलब्ध होगा।
संभल के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्रीश चंद्रा ने जानकारी दी कि मंदिर की भूमि पर अवैध कब्जा किया गया था। उन्होंने बताया कि अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है और मंदिर को साफ-सुथरा कर भगवान शिव और हनुमान की मूर्तियों को स्थापित किया गया है।
मंदिर पर लंबे समय से अतिक्रमण की शिकायतें थीं। क्षेत्रीय अधिकारी अनुज कुमार चौधरी ने बताया कि निरीक्षण के दौरान मंदिर के पास एक प्राचीन बावड़ी भी पाई गई। प्रशासन ने मंदिर को इसके पुराने स्वरूप में लौटाने का आश्वासन दिया है।
संभल के क्षेत्रीय अधिकारी (CO) अनुज कुमार चौधरी ने बताया, “हमें जानकारी मिली थी कि क्षेत्र में एक मंदिर पर अतिक्रमण किया जा रहा है। जब हमने स्थल का निरीक्षण किया, तो वहाँ मंदिर पाया गया।” उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर के पास एक प्राचीन बावड़ी (कुआँ) होने की जानकारी प्राप्त हुई है।यह घटना क्षेत्र में धार्मिक महत्व और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा को लेकर चर्चा का विषय बन गई है।
#WATCH | Sambhal, UP: Additional SP Shrish Chandra says, "During checking it was found that some people had encroached upon the temple by constructing houses…The temple has been cleaned and action will be taken against those who encroached upon the temple…There are idols of… https://t.co/APfTv9dpg8 pic.twitter.com/qaKCc44pVT
— ANI (@ANI) December 14, 2024
1978 के सांप्रदायिक दंगे के दौरान हिंदू परिवारों ने इस इलाके से पलायन कर लिया था। नगर हिंदू सभा के संरक्षक रस्तोगी ने कहा कि उस समय कई हिंदू घरों को आग के हवाले कर दिया गया था, जिससे डर के कारण हिंदू आबादी अन्य क्षेत्रों में बस गई। इस दौरान मंदिर पर कब्जा कर उसे एक मकान में बदल दिया गया।
जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने मंदिर के पुनर्निर्माण का आदेश देते हुए अवैध कब्जा हटाने और मंदिर के पास स्थित कुएं को पुनः खोलने का निर्देश दिया। प्रशासन ने मंदिर को उसके प्राचीन स्वरूप में लौटाने और धार्मिक महत्व को बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाने का संकल्प लिया है।