कोयंबटूर बम धमाकों के मास्टरमाइंड एसए बाशा का निधन, शवयात्रा को लेकर स्टालिन सरकार और भाजपा आमने-सामने
समग्र समाचार सेवा
कोयंबटूर,17 दिसंबर। कोयंबटूर में 1998 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मास्टरमाइंड और प्रतिबंधित संगठन अल-उम्मा के संस्थापक एसए बाशा का सोमवार शाम को निधन हो गया। पुलिस ने बताया कि उम्र संबंधी बीमारियों के कारण वह पिछले कुछ समय से बीमार था और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसकी मौत हो गई। बाशा के परिजन ने उसकी शवयात्रा निकालने की योजना बनाई है, जिसे लेकर पुलिस सतर्क हो गई है।
एसए बाशा 1998 में हुए कोयंबटूर बम धमाकों का मुख्य आरोपी था। इन धमाकों में 58 लोगों की मौत हुई थी और 231 लोग घायल हुए थे। पुलिस ने उसे भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की हत्या की साजिश रचने का भी दोषी पाया था। बाशा को 1999 में अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। हाल ही में मद्रास उच्च न्यायालय ने उसे स्वास्थ्य कारणों से पैरोल पर रिहा किया था।
बाशा के परिजन ने दक्षिण उक्कदम से फ्लावर मार्केट स्थित हैदर अली टीपू सुल्तान सुन्नत जमात मस्जिद तक उसकी शवयात्रा निकालने की योजना बनाई है। पुलिस ने किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए क्षेत्र में भारी सुरक्षा बल तैनात किया है।
इस बीच, भाजपा ने बाशा की शवयात्रा निकालने की अनुमति दिए जाने पर कड़ा विरोध जताया है। तमिलनाडु भाजपा के उपाध्यक्ष नारायणन तिरुपति ने कहा कि किसी आतंकी या अपराधी की शवयात्रा निकालना समाज के लिए गलत उदाहरण पेश करेगा। उन्होंने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से अपील की कि शवयात्रा पर प्रतिबंध लगाया जाए और अंतिम संस्कार केवल बाशा के परिवार के सदस्यों की उपस्थिति में किया जाए।
भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि बाशा और अल-उम्मा जैसे संगठन तमिलनाडु में कट्टरपंथ और सांप्रदायिक तनाव फैलाने के जिम्मेदार हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि बाशा की शवयात्रा 1998 के बम धमाकों की दर्दनाक यादें ताजा कर सकती है और सांप्रदायिक तनाव को जन्म दे सकती है।
मुख्यमंत्री स्टालिन की सरकार फिलहाल इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है। वहीं, पुलिस प्रशासन क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए हरसंभव कदम उठा रहा है।