समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,17 दिसंबर।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में 16 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान पर विजय प्राप्त करने वाले भारतीय सैनिकों को याद किया, लेकिन अपने संदेश में युद्ध के परिणामस्वरूप बने बांग्लादेश का उल्लेख नहीं किया। इस पर बांग्लादेश के राजनेताओं और कार्यवाहक प्रशासन के सदस्यों ने कड़ी नाराजगी जाहिर की।
मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाले कार्यवाहक प्रशासन के विधि सलाहकार आसिफ नजरुल ने कहा, “मैं इसका कड़ा विरोध करता हूं। 16 दिसंबर, 1971 बांग्लादेश की जीत का दिन था। इस जीत में भारत एक सहयोगी था, इससे ज्यादा कुछ नहीं।”
भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के हसनत अब्दुल्ला ने भी प्रधानमंत्री मोदी के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि युद्ध को केवल भारत की उपलब्धि के रूप में दर्शाना और बांग्लादेश की भूमिका को नजरअंदाज करना निंदनीय है।
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के नेता इशराक हुसैन ने भी बयान की निंदा करते हुए कहा, “मैं 16 दिसंबर, बांग्लादेश के विजय दिवस पर नरेंद्र मोदी के भ्रामक बयान की कड़ी निंदा करता हूं और इसका विरोध करता हूं।”
भारत और बांग्लादेश के बीच मौजूदा तनाव
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों के चलते भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध हाल के दिनों में तनावपूर्ण बने हुए हैं। भारत ने इन घटनाओं को लेकर मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के सामने चिंता जाहिर की है।
विजय दिवस का ऐतिहासिक महत्व
विजय दिवस 16 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तानी सेना के भारतीय सेना के समक्ष आत्मसमर्पण की याद में मनाया जाता है। इस युद्ध के परिणामस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान स्वतंत्र हुआ और बांग्लादेश के रूप में एक नया राष्ट्र अस्तित्व में आया। इस दिन को दोनों देशों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर के रूप में देखा जाता है।