अजीत डोभाल का बीजिंग दौरा, LAC विवाद सुलझाने और रिश्तों को सुधारने की दिशा में अहम कदम

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समग्र समाचार सेवा

नई दिल्ली, 18 दिसंबर। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल बीजिंग यात्रा पर हैं, जो कई दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण मानी जा रही है। यह दौरा 24 अक्टूबर को रूस में हुई पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक में बनी आम सहमति के आधार पर हो रहा है। इस बैठक का उद्देश्य LAC विवाद को सुलझाना और दोनों देशों के आपसी संबंधों को फिर से बहाल करना है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, LAC पर हालिया समझौते के बाद यह बातचीत और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। बुधवार को डोभाल ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से बैठक की, जो कि करीब पांच साल बाद हुई है।

दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच आखिरी बार बैठक दिसंबर 2019 में हुई थी। 2020 में लद्दाख विवाद के बाद भारत और चीन के रिश्तों में तनाव आ गया था। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी बताया था कि विवाद के 75 फीसदी मुद्दे हल हो चुके हैं और बाकी के मुद्दों का समाधान जल्द ही होने की उम्मीद है।

यह दौरा उस समय हो रहा है जब दोनों देशों ने डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों से अपनी सेनाओं को पीछे हटाने पर सहमति बनाई है। खबरों के अनुसार, दोनों देशों ने को-ऑर्डिनेट पेट्रोलिंग भी शुरू कर दी है। इस विवाद को सुलझाने के लिए अब तक कॉर्प्स कमांडरों की 21 राउंड की बैठक हो चुकी है, साथ ही डिप्लोमेटिक लेवल पर भी कई दौर की बातचीत हो चुकी है।

चीन ने डोभाल के दौरे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि चीन भारत के साथ मिलकर दोनों देशों के नेताओं के बीच महत्वपूर्ण आम सहमति को लागू करने और द्विपक्षीय संबंधों को जल्द से जल्द पटरी पर लाने के लिए काम करने को तैयार है। बीजिंग ने इस दौरान एक-दूसरे के मूल हितों और प्रमुख चिंताओं का सम्मान करने, संवाद और संचार के जरिए आपसी विश्वास को मजबूत करने और ईमानदारी एवं सद्भावना के साथ मतभेदों को सुलझाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

भारत ने पहले भी कई बार यह कहा है कि अप्रैल 2020 की स्थिति पर लौटना ही समाधान की दिशा में पहला कदम होगा। G20, BRICS, SCO और QUAD में भारत की बढ़ती अहमियत ने चीन को पीछे हटने पर मजबूर किया है। अब यह देखना होगा कि इस बातचीत के बाद दोनों देशों के रिश्तों में कितना सुधार होता है।

 

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