समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,21 दिसंबर। जयपुर: राजस्थान के जयपुर जिले में हुए भीषण बस अग्निकांड में अब तक 14 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। यह हादसा गुरुवार को महला बाइपास पर हुआ, जब एक निजी बस और ट्रक की टक्कर के बाद बस में आग लग गई। हादसे के कारण बस पूरी तरह खाक हो गई, और शवों की पहचान करना मुश्किल हो रहा है। इस घटना ने प्रशासन और परिवहन विभाग पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, क्योंकि दुर्घटनाग्रस्त बस का परमिट 16 महीने पहले ही खत्म हो चुका था।
दर्दनाक हादसे का विवरण
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, बस और ट्रक की आमने-सामने की टक्कर के तुरंत बाद बस में आग लग गई। आग इतनी तेजी से फैली कि यात्रियों को बाहर निकलने का मौका भी नहीं मिला। इस भयावह हादसे में 14 लोगों की जान चली गई, जबकि कई घायल अस्पताल में भर्ती हैं।
शवों की पहचान चुनौती
आग की भीषणता के कारण शव बुरी तरह जल चुके हैं, जिससे उनकी पहचान करना बेहद मुश्किल हो गया है। प्रशासन ने डीएनए परीक्षण के माध्यम से शवों की पहचान करने की योजना बनाई है। हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को सूचना दी जा रही है और सहायता प्रदान की जा रही है।
परमिट की अनदेखी
दुर्घटनाग्रस्त बस का परमिट 16 महीने पहले ही समाप्त हो चुका था, फिर भी यह बस सड़कों पर दौड़ रही थी। यह तथ्य परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रशासन की कार्रवाई
राज्य सरकार ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हादसे पर शोक व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों को ₹5 लाख की सहायता राशि और घायलों को ₹50,000 की मदद देने की घोषणा की है।
परिजनों का गुस्सा और सवाल
हादसे के बाद परिजनों और स्थानीय लोगों में प्रशासन और परिवहन विभाग के खिलाफ गुस्सा है। उनका आरोप है कि नियमों की अनदेखी और लापरवाही के कारण यह घटना हुई। लोगों ने यह भी सवाल उठाया कि बिना वैध परमिट के बस सड़कों पर कैसे चल रही थी।
सड़क सुरक्षा पर सवाल
यह घटना एक बार फिर सड़क सुरक्षा और वाहनों की जांच-पड़ताल के नियमों की कमी को उजागर करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि परिवहन विभाग को वाहनों की नियमित जांच करनी चाहिए और नियमों का पालन सुनिश्चित करना चाहिए।
निष्कर्ष
जयपुर का यह अग्निकांड न केवल एक दर्दनाक त्रासदी है, बल्कि प्रशासन और परिवहन विभाग की लापरवाही का बड़ा उदाहरण भी है। इस घटना से सबक लेकर सख्त कदम उठाने की जरूरत है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। वहीं, पीड़ित परिवारों को न्याय और राहत मिलना भी बेहद जरूरी है।