महाशक्ति के रूप में चीन का अंत: जनसंख्या संकट की चुनौती

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,26 दिसंबर।
चीन, जो एक समय दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और वैश्विक शक्ति के रूप में उभरा था, अब एक नई चुनौती का सामना कर रहा है। यह चुनौती है उसकी घटती जनसंख्या और उससे उत्पन्न होने वाले दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक प्रभाव। 2023 में चीन की जनसंख्या में पहली बार गिरावट देखी गई, जो न केवल एशिया बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी खबर बन गई।

जनसंख्या संकट: समस्या की जड़ें

चीन का जनसंख्या संकट दशकों पुरानी “एक बच्चा नीति” का परिणाम है, जिसे 1979 में लागू किया गया था। इस नीति का उद्देश्य जनसंख्या नियंत्रण था, लेकिन इसका दीर्घकालिक प्रभाव नकारात्मक रहा।

  • जन्म दर में गिरावट: पिछले कुछ दशकों में चीन की जन्म दर में अभूतपूर्व गिरावट आई है।
  • बुजुर्गों की बढ़ती संख्या: चीन की कुल जनसंख्या में बुजुर्गों का अनुपात तेजी से बढ़ रहा है, जिससे श्रम शक्ति पर दबाव बढ़ रहा है।
  • लिंग अनुपात में असंतुलन: एक बच्चा नीति के कारण परिवारों ने बेटों को प्राथमिकता दी, जिससे लिंग अनुपात असंतुलित हो गया।

जनसंख्या संकट के प्रभाव

  1. आर्थिक विकास पर प्रभाव
    चीन की आर्थिक प्रगति का मुख्य आधार उसका विशाल श्रमिक वर्ग था। लेकिन घटती जनसंख्या के कारण श्रम शक्ति में कमी हो रही है, जिससे उत्पादन और औद्योगिक विकास पर असर पड़ रहा है।
  2. बुजुर्ग आबादी का बढ़ता दबाव
    सामाजिक कल्याण प्रणाली पर बुजुर्गों की बढ़ती संख्या का दबाव भारी पड़ रहा है। पेंशन और स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती मांग सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है।
  3. वैश्विक शक्ति के रूप में प्रभाव
    जनसंख्या में गिरावट चीन के लिए न केवल आंतरिक बल्कि वैश्विक स्तर पर भी नुकसानदेह है। उसकी सैन्य शक्ति और आर्थिक दबदबा भी कमजोर हो सकता है।

चीन के प्रयास और उनकी सीमाएं

चीन ने 2021 में तीन बच्चे नीति लागू की, लेकिन इसका प्रभाव सीमित रहा। युवा पीढ़ी बढ़ती महंगाई, शिक्षा की लागत, और नौकरी की अस्थिरता के कारण बड़े परिवार शुरू करने से बच रही है।

महाशक्ति के रूप में चीन का भविष्य

चीन की घटती जनसंख्या उसे एक नए संकट में धकेल रही है। अगर यह प्रवृत्ति जारी रही, तो वह दिन दूर नहीं जब चीन की अर्थव्यवस्था धीमी पड़ जाएगी और वैश्विक मंच पर उसका प्रभाव कम हो जाएगा।

  • श्रम शक्ति की कमी: उत्पादन और तकनीकी विकास पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
  • अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा: अमेरिका और भारत जैसे देश चीन की कमजोरियों का लाभ उठाकर वैश्विक नेतृत्व के लिए आगे बढ़ सकते हैं।
  • सामाजिक अस्थिरता: जनसंख्या असंतुलन के कारण सामाजिक तनाव बढ़ सकता है।

भारत के लिए अवसर

जहां चीन जनसंख्या संकट का सामना कर रहा है, वहीं भारत अपनी युवा आबादी के साथ नई ऊंचाइयों को छूने की क्षमता रखता है।

  • भारत अपने श्रमबल और बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ वैश्विक स्तर पर चीन का स्थान ले सकता है।
  • डेमोग्राफिक डिविडेंड का उपयोग करके भारत अपने उत्पादन और व्यापार को बढ़ावा दे सकता है।

निष्कर्ष

चीन का जनसंख्या संकट केवल उसकी आंतरिक समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया पर प्रभाव डालेगा। यह संकट हमें यह भी सिखाता है कि जनसंख्या प्रबंधन संतुलित और दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ किया जाना चाहिए।
चीन, जो कभी दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक और राजनीतिक शक्ति बनने का सपना देखता था, अब अपनी ही नीतियों के परिणामस्वरूप उस स्थिति को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है। यदि समय रहते इन चुनौतियों का समाधान नहीं किया गया, तो यह युग वास्तव में “चीन के अंत का युग” बन सकता है।

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