समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,26 दिसंबर। हाल ही में, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत को धर्मगुरुओं और संतों के एक वर्ग की ओर से तीव्र प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा है। विवाद का केंद्र यह है कि धार्मिक मामलों में निर्णय का अधिकार किसके पास होना चाहिए—धर्माचार्यों का या आरएसएस जैसे संगठनों का।