समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,27 दिसंबर। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित ऐतिहासिक ‘रानी की बावड़ी’ की खुदाई लगातार 7वें दिन भी जारी रही। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम इस ऐतिहासिक संरचना की गहराई मापने और इसके महत्व को समझने में जुटी है। अब तक मिली जानकारी के अनुसार, यह बावड़ी तीन मंजिला हो सकती है।
खुदाई में क्या सामने आया?
ASI की टीम ने खुदाई के दौरान बावड़ी की संरचना और इसके विशेषताओं का अध्ययन किया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बावड़ी ऐतिहासिक महत्व की है और इसे संरक्षित करना बेहद जरूरी है। खुदाई के दौरान कुछ पत्थर की नक्काशी और प्राचीन ईंटें भी मिली हैं, जो इसकी भव्यता को दर्शाती हैं।
तीन मंजिला होने का अंदेशा
खुदाई के दौरान मिली गहराई को मापने पर पता चला है कि यह बावड़ी तीन मंजिला हो सकती है। हालांकि, अभी और खुदाई की जरूरत है ताकि इसके आकार और निर्माण शैली के बारे में सटीक जानकारी मिल सके।
स्थानीय लोगों में उत्सुकता
इस ऐतिहासिक खुदाई ने स्थानीय लोगों में भारी उत्साह पैदा कर दिया है। बड़ी संख्या में लोग इस बावड़ी को देखने आ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बावड़ी मुगलकालीन या उससे पहले की हो सकती है।
ASI का उद्देश्य
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का उद्देश्य न केवल इस बावड़ी की ऐतिहासिकता को समझना है, बल्कि इसे संरक्षित करना और इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना भी है।
संभल की ‘रानी की बावड़ी’ इतिहास और सांस्कृतिक धरोहरों के प्रति हमारी जागरूकता का प्रतीक है। ASI की यह पहल हमें हमारे समृद्ध अतीत को जानने और उसे संरक्षित करने का अवसर देती है।