मनमोहन सिंह की अंतिम यात्रा: जनसैलाब और ‘अमर रहे’ के नारों से गूंजा माहौल

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,28 दिसंबर।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और आर्थिक सुधारों के शिल्पकार डॉ. मनमोहन सिंह की अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ पड़ा। देशभर से लोग अपने प्रिय नेता को अंतिम विदाई देने के लिए इकट्ठा हुए। ‘मनमोहन सिंह अमर रहें’ के गगनभेदी नारों ने माहौल को भावुक और गर्वित कर दिया।

जनता का सैलाब और भावनाओं की लहर

दिल्ली की सड़कों पर लोगों का हुजूम डॉ. सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए उमड़ा।

  • सादगी भरी विदाई: मनमोहन सिंह, जो अपने शांत स्वभाव और विनम्रता के लिए जाने जाते थे, उनकी अंतिम यात्रा भी उनके जीवन के मूल्यों को दर्शा रही थी।
  • आंसुओं और नारों का संगम: जहां एक ओर लोग आंसुओं के साथ अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहे थे, वहीं ‘अमर रहे’ के नारे उनकी अमिट छवि को जीवित रखने का प्रतीक बने।

नेताओं और गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति

देश और विदेश से कई नेताओं, उद्योगपतियों, और सांस्कृतिक हस्तियों ने डॉ. सिंह को श्रद्धांजलि दी।

  • राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होकर उनकी महानता को नमन किया।
  • विदेशी नेताओं ने डॉ. सिंह के योगदान को याद करते हुए शोक संदेश भेजे।

मनमोहन सिंह: एक प्रेरणादायक जीवन

डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन सादगी, कर्तव्यनिष्ठा और देश सेवा का प्रतीक था।

  • आर्थिक सुधारों के शिल्पकार: 1991 में वित्त मंत्री के रूप में, उन्होंने भारत को आर्थिक संकट से उबारकर एक नई दिशा दी।
  • प्रधानमंत्री के रूप में योगदान: दो कार्यकालों तक देश का नेतृत्व करते हुए उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, और तकनीकी क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया।
  • वैश्विक पहचान: उन्होंने भारत को वैश्विक मंच पर मजबूत और सम्मानजनक स्थान दिलाया।

जनता के नेता

डॉ. सिंह को हमेशा एक नेता के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने अपनी सादगी, ईमानदारी और दूरदृष्टि से करोड़ों लोगों का दिल जीता। उनकी विदाई में उमड़ा जनसैलाब उनके प्रति जनता के अटूट प्रेम और आदर का प्रतीक है।

भावुक क्षण और अंतिम विदाई

डॉ. सिंह की अंतिम यात्रा में शामिल हर व्यक्ति के चेहरे पर गम और गर्व दोनों दिखाई दिए।

  • उनकी पार्थिव देह को तिरंगे में लपेटा गया, और पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार संपन्न हुआ।
  • हजारों लोगों ने फूल चढ़ाकर और मोमबत्तियां जलाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

‘अमर रहे’ की गूंज

‘मनमोहन सिंह अमर रहें’ के नारे उनके अमिट योगदान और उनकी जनता के प्रति अटूट निष्ठा को दर्शाते हैं। यह नारे उनकी स्मृति को हमेशा जीवित रखने का संकल्प हैं।

निष्कर्ष

डॉ. मनमोहन सिंह केवल एक नेता नहीं, बल्कि एक युग थे। उनकी अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब इस बात का प्रमाण है कि उन्होंने न केवल भारत को आर्थिक रूप से मजबूत किया, बल्कि देशवासियों के दिलों में अपनी गहरी जगह बनाई। उनकी विरासत सदैव अमर रहेगी, और उनका योगदान पीढ़ियों तक प्रेरणा देता रहेगा।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.