समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,31 दिसंबर। बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के परीक्षा में गड़बड़ी और अनियमितताओं को लेकर हुए आंदोलन में पुलिस कार्रवाई ने एक नई बहस को जन्म दिया है। इस पूरे प्रकरण में आईपीएस अधिकारी स्वीटी सहारावत का नाम खासतौर पर चर्चा में है। आंदोलनकारियों पर हुई पुलिस कार्रवाई के बाद वे विवादों के घेरे में आ गई हैं।
क्या है मामला?
बीपीएससी परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं और पारदर्शिता की कमी को लेकर छात्रों ने व्यापक प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन पटना के कई हिस्सों में फैला, जहां छात्रों ने न्याय और पारदर्शिता की मांग करते हुए प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।
आईपीएस स्वीटी सहारावत, जो पटना में डीएसपी (सिटी) के पद पर कार्यरत हैं, को इस प्रदर्शन को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन पुलिस की सख्त कार्रवाई, जिसमें लाठीचार्ज और गिरफ्तारी शामिल थे, ने उनकी भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
आरोप और आलोचना
आंदोलनकारियों और विपक्षी दलों ने स्वीटी सहारावत पर आरोप लगाया है कि उन्होंने आंदोलनकारियों के साथ अत्यधिक सख्ती बरती।
- लाठीचार्ज और बल प्रयोग: छात्रों का कहना है कि पुलिस ने बिना किसी उकसावे के उन पर लाठीचार्ज किया, जिससे कई छात्र घायल हो गए।
- लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन: विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि यह प्रदर्शन छात्रों का लोकतांत्रिक अधिकार था और पुलिस ने इसे दबाने का प्रयास किया।
- महिला आईपीएस पर निशाना: कुछ लोग यह भी मानते हैं कि स्वीटी सहारावत को एक महिला अधिकारी होने के नाते अतिरिक्त निशाना बनाया जा रहा है।
स्वीटी सहारावत का पक्ष
स्वीटी सहारावत ने अपनी कार्रवाई को कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक बताया।
- उनका कहना है कि प्रदर्शन के दौरान कानून तोड़ने की घटनाएं हुईं, जिससे आम जनता को परेशानी हुई।
- उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए नियमों के तहत ही कदम उठाए।
छात्रों और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद छात्र संगठनों और विपक्षी दलों ने स्वीटी सहारावत और राज्य सरकार पर निशाना साधा है।
- छात्र संगठनों का विरोध: छात्रों ने पुलिस कार्रवाई के खिलाफ और अधिक प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है।
- विपक्षी दलों का बयान: कई नेताओं ने इसे सरकार की विफलता करार दिया और पुलिस पर शक्ति का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया।
कौन हैं स्वीटी सहारावत?
स्वीटी सहारावत एक तेज-तर्रार आईपीएस अधिकारी हैं, जो अपने सख्त रवैये और त्वरित निर्णयों के लिए जानी जाती हैं।
- हरियाणा की मूल निवासी स्वीटी सहारावत 2020 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं।
- उन्होंने कई संवेदनशील मामलों में कुशलता से कार्य किया है और अपनी भूमिका को लेकर अक्सर चर्चा में रहती हैं।
क्या यह विवाद जायज है?
इस मामले में दो पक्ष उभर कर सामने आ रहे हैं:
- पुलिस का दायित्व: कानून-व्यवस्था बनाए रखना पुलिस का कर्तव्य है, लेकिन इसे लागू करते समय किसी भी प्रकार की अत्यधिक सख्ती से बचना चाहिए।
- आंदोलनकारियों का अधिकार: छात्रों को अपनी समस्याओं को शांतिपूर्ण तरीके से उठाने का अधिकार है। अगर उनके साथ गलत व्यवहार हुआ है, तो इसकी जांच होनी चाहिए।
निष्कर्ष
आईपीएस स्वीटी सहारावत बीपीएससी आंदोलन के दौरान हुई पुलिस कार्रवाई के कारण आलोचनाओं का सामना कर रही हैं। यह मामला केवल कानून और व्यवस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रशासन और जनता के बीच संवाद की कमी को भी उजागर करता है।
आने वाले समय में इस विवाद का हल निकाला जाना आवश्यक है ताकि न केवल छात्रों का विश्वास बहाल हो सके, बल्कि प्रशासन की छवि भी सकारात्मक बनी रहे।