आमरण अनशन पर बैठे प्रशांत किशोर की बिगड़ी तबीयत, मेदांता हॉस्पिटल ले जाने की तैयारी

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,7 जनवरी।
लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों के बीच राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार वह अपनी सेहत को लेकर नहीं, बल्कि अपनी राजनीतिक स्थिति को लेकर सुर्खियों में हैं। प्रशांत किशोर ने पिछले कुछ दिनों से राजनीति में बदलाव की दिशा में अपने विचार व्यक्त करने के लिए आमरण अनशन पर बैठने का निर्णय लिया था, लेकिन अब उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें मेदांता अस्पताल ले जाने की तैयारी की जा रही है।

आमरण अनशन पर बैठे प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर ने अपनी राजनीतिक गतिविधियों और विचारधाराओं को लेकर आमरण अनशन का मार्ग चुना था। उनका यह अनशन एक खास उद्देश्य को लेकर था, जिसमें उन्होंने देश की राजनीति और चुनावी प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका मुख्य उद्देश्य भ्रष्टाचार, वोटबैंक राजनीति, और राष्ट्रीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना था।

प्रशांत किशोर का यह अनशन एक लंबे वक्त से चल रहा था, और उन्होंने इसे तब तक जारी रखने की बात कही थी, जब तक उनके विचारों को सरकार और जनता के बीच एक गंभीर विमर्श के रूप में स्थान नहीं मिलता। उनका यह कदम राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में एक नई शुरुआत के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन अब उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद उनकी स्थिति गंभीर हो गई है।

तबीयत बिगड़ी, अस्पताल ले जाने की तैयारी

आमरण अनशन के चलते प्रशांत किशोर की तबीयत में लगातार गिरावट आई है। डॉक्टरों ने उनकी स्थिति को गंभीर बताया है और उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती करने की सलाह दी है। इस बीच, उनके समर्थकों और परिवार के सदस्य लगातार उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं।

मेडिकल टीम के अनुसार, प्रशांत किशोर के शरीर में पानी की कमी हो गई है, और उनका रक्तचाप भी सामान्य से नीचे जा चुका है। इस स्थिति को देखते हुए उन्हें मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती कर इलाज करने की तैयारी की जा रही है।

समर्थकों का विरोध और सरकार की चुप्पी

प्रशांत किशोर के समर्थकों ने उनके आमरण अनशन को लेकर सरकार से जवाबदेही की मांग की है। उनका कहना है कि यह एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है, और प्रशांत किशोर के विचारों का सम्मान किया जाना चाहिए। वहीं, कुछ विपक्षी दलों ने भी प्रशांत किशोर के अनशन को समर्थन दिया है, जबकि कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह एक राजनीतिक नाटक भी हो सकता है।

दूसरी ओर, सरकार ने अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, और उनका कहना है कि वे प्रशांत किशोर के स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील हैं, लेकिन उनकी राजनीति और व्यक्तिगत निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करेंगे।

प्रशांत किशोर का राजनीतिक भविष्य

प्रशांत किशोर ने हमेशा अपनी रणनीतिक और राजनीतिक सलाह के लिए सुर्खियां बटोरी हैं। चाहे वह 2014 के लोकसभा चुनाव हो, या फिर 2020 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की जीत, उन्होंने अपने काबिलियत से कई बड़े नेताओं को राजनीति में मदद की है। लेकिन अब, उनके द्वारा शुरू किया गया आमरण अनशन एक नया मोड़ ले चुका है।

उनके समर्थकों और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रशांत किशोर अपनी राजनीतिक स्थिति को लेकर कोई बड़ा फैसला लेने के मूड में हैं। वे किसी बड़े राजनीतिक संगठन का हिस्सा बनने या एक नई पार्टी की शुरुआत करने का विचार कर सकते हैं।

निष्कर्ष:

प्रशांत किशोर का आमरण अनशन और उनकी बिगड़ती तबीयत देश की राजनीति और समाज के लिए एक बड़ा संकेत है। उनका स्वास्थ्य अब सबसे बड़ी चिंता का विषय बन चुका है, और यह देखने वाली बात होगी कि क्या वह अपनी राजनीतिक लड़ाई को जारी रखेंगे या फिर इलाज के बाद किसी अन्य रूप में राजनीति में भाग लेंगे। प्रशांत किशोर के फैसले और उनके स्वास्थ्य की स्थिति पर देशभर की निगाहें टिकी हुई हैं।

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