दम फूल रहा था, आंखें जल रही थीं… लंदन स्मॉग की कहानी! जब सांस लेना दूभर हो गया, 4000 लोगों की हुई थी मौत

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,7 जनवरी।
लंदन का इतिहास एक समय उस भयानक घटना से जुड़ा है, जब स्मॉग (धुंआ और कोहरे का मिश्रण) ने शहर को अपनी चपेट में लिया और हजारों लोगों की जान ले ली। यह घटना 1952 में हुई थी, और इसे आज भी “लंदन स्मॉग” के नाम से जाना जाता है। यह घटना न केवल ब्रिटेन, बल्कि पूरी दुनिया में पर्यावरणीय प्रदूषण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता को बढ़ाने के लिए एक बड़ा कारण बनी।

क्या था लंदन स्मॉग?

स्मॉग का मतलब है कोहरे और धुंए का मिश्रण, जो प्रदूषण से उत्पन्न होता है। लंदन में दिसंबर 1952 के दौरान अत्यधिक ठंड और बहुत घना कोहरा था, जिससे हवा में मौजूद प्रदूषक तत्वों ने मिलकर एक विषैला मिश्रण बना दिया। इसमें सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड और कण पदार्थ प्रमुख थे। यह प्रदूषण इतना खतरनाक था कि लोगों के लिए सांस लेना दूभर हो गया था।

कितना गंभीर था यह प्रदूषण?

लंदन स्मॉग 5 दिसंबर 1952 से शुरू हुआ और 9 दिसंबर तक जारी रहा। इस दौरान पूरे शहर में दृश्यता शून्य के करीब हो गई थी। लोग सड़क पर चलने में भी मुश्किल महसूस कर रहे थे। दम फूल रहा था, आंखें जल रही थीं, और सांस लेना बहुत कठिन हो गया था। यह इतना खतरनाक था कि शहर के विभिन्न हिस्सों में 4000 से अधिक मौतें हो गईं, और हजारों लोग गंभीर रूप से बीमार हो गए। अस्पतालों में मरीजों की संख्या बहुत बढ़ गई थी, और चिकित्सा सुविधाएं भी संकट में थीं।

क्या थे इसके कारण?

  1. कोहरे की तीव्रता: लंदन में उस समय अत्यधिक ठंड थी, और कोहरा बहुत घना हो गया था। यह कोहरा प्रदूषण को अधिक गंभीर बना रहा था, क्योंकि ठंडी हवा के कारण प्रदूषक तत्वों ने धरती के करीब रहने की अनुमति पाई, जिससे सांस लेना और भी कठिन हो गया।
  2. कोयला जलाना: उस समय लंदन में अधिकांश लोग अपनी गर्मी की जरूरत को पूरा करने के लिए कोयले का इस्तेमाल कर रहे थे। इसके जलने से सल्फर डाइऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसों का उत्सर्जन हो रहा था, जो घने कोहरे में मिलकर स्मॉग का रूप धारण कर रहा था।
  3. औद्योगिकीकरण: लंदन में औद्योगिकीकरण और फैक्ट्रियों से निकलने वाला प्रदूषण भी इस समस्या को बढ़ा रहा था। फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुंए और गैसों ने हवा की गुणवत्ता को और खराब कर दिया था।

यह घटना कैसे बदली दुनिया?

लंदन स्मॉग की घटना ने पूरे ब्रिटेन और दुनिया को यह समझाया कि प्रदूषण का असर सिर्फ पर्यावरण पर नहीं, बल्कि लोगों की स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकता है। इस घटना के बाद पर्यावरणीय सुधार के प्रयासों में तेजी आई। ब्रिटेन सरकार ने तत्काल कदम उठाए और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए Clean Air Act 1956 को लागू किया। इस कानून ने कोयले और अन्य प्रदूषक तत्वों का उपयोग नियंत्रित किया और ऐसे प्रदूषणकारी स्रोतों को बंद करने की दिशा में कदम उठाए।

स्मॉग के बाद क्या हुआ?

लंदन स्मॉग के बाद से, शहर में कई वर्षों तक प्रदूषण को नियंत्रित करने के प्रयास किए गए। न केवल ब्रिटेन, बल्कि पूरी दुनिया में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ी। यह घटना एक चेतावनी बन गई, जिससे सरकारें और संगठन प्रदूषण को कम करने के लिए गंभीर प्रयास करने लगे।

आज, लंदन जैसे विकसित शहरों में प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी खतरों से निपटने के लिए कई आधुनिक उपाय किए गए हैं। हालांकि, यह घटना पर्यावरणीय संकट का एक काला अध्याय बनकर इतिहास में दर्ज हो गई है, जो यह सिखाती है कि किसी भी प्रकार का प्रदूषण न केवल प्राकृतिक संसाधनों के लिए खतरनाक है, बल्कि यह मानव जीवन के लिए भी विनाशकारी हो सकता है।

निष्कर्ष

लंदन स्मॉग ने हमें यह सिखाया कि पर्यावरण और प्रदूषण पर ध्यान देना कितना महत्वपूर्ण है। यह घटना न केवल ब्रिटेन के लिए एक दिल दहला देने वाली घटना थी, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी थी। प्रदूषण से बचने के लिए हर स्तर पर कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि हम अपने आने वाले पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित कर सकें।

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