भारत माता का वास्तविक पूजन: जन और पर्यावरण की सेवा – डॉ. मोहन भागवत जी

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,8 जनवरी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने ओंकारेश्वर स्थित नर्मदा किनारे मार्कण्डेय आश्रम में भारत माता एवं आदि शंकराचार्य जी का पूजन करते हुए भारत माता की सेवा के व्यापक अर्थ को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि भारत माता का पूजन केवल प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि यह भारत में निवास करने वाले जन, जमीन, जंगल, जल और जानवरों की सेवा और सुरक्षा से जुड़ा हुआ है।

पर्यावरण संरक्षण का महत्व

डॉ. भागवत जी ने कहा कि भारत भूमि न केवल हमारा पालन-पोषण करती है, बल्कि संरक्षण और संवर्धन का संस्कार भी प्रदान करती है। भारत माता की सेवा का अर्थ है पर्यावरण और जैव विविधता की रक्षा। प्रकृति का संरक्षण भारत माता पूजन की प्रेरणा से प्राप्त होता है। उन्होंने नर्मदा आरती के पश्चात एकांत में अध्यात्म साधना और लोकांत में समाज सेवा का आह्वान किया।

समाज और परिवार की भूमिका

डॉ. भागवत ने गृहस्थ आश्रम को धर्म की धुरी बताते हुए कहा कि हर व्यक्ति को अपने वर्तमान परिस्थितियों में समाज की सेवा के लिए तत्पर रहना चाहिए। उन्होंने उदाहरण दिया कि जैसे गरुड़ ने अपनी माता की सेवा से देवताओं का वाहन बनने का आशीर्वाद पाया, वैसे ही भारत माता की सेवा से हम धर्म के वाहक बन सकते हैं।

कुटुंब प्रबोधन की भूमिका

कुटुंब प्रबोधन गतिविधि की अखिल भारतीय बैठक के दौरान भारतीय परिवार व्यवस्था को मजबूत बनाने पर गहन चर्चा की गई। यह बताया गया कि भारतीय परिवार सृष्टि की सबसे अद्भुत रचनाओं में से एक हैं। कुटुंब प्रबोधन गतिविधि का उद्देश्य परिवारों में सकारात्मकता बढ़ाना और परिवार को सुदृढ़ करना है।
परिवार के सशक्तिकरण के लिए छह ‘भ’ पर काम करने की आवश्यकता बताई गई:

  1. भोजन: परिवार के साथ भोजन करने की आदत।
  2. भजन: परिवार में आध्यात्मिक वातावरण बनाए रखना।
  3. भाषा: अपनी मातृभाषा को महत्व देना।
  4. भूषा: भारतीय परिधान और परंपराओं का सम्मान।
  5. भ्रमण: परिवार के साथ तीर्थयात्रा और सांस्कृतिक स्थलों की यात्रा।
  6. भवन: परिवार में संवाद और प्रेमपूर्ण वातावरण।

मातृशक्ति की सहभागिता

डॉ. भागवत जी ने बताया कि कुटुंब प्रबोधन गतिविधि में मातृशक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका है। देशभर में महिलाएं बड़े स्तर पर कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं। उन्होंने आने वाले समय में महिलाओं की अधिक सहभागिता बढ़ाने का आह्वान किया।

भारत: विश्व की आत्मा

मार्कण्डेय आश्रम में भारत माता पूजन के पश्चात, डॉ. भागवत जी ने कहा कि यह पूरा विश्व एक देह है और उसकी आत्मा हमारा भारत है। उन्होंने सभी से भारत माता की सेवा में जुड़ने और पर्यावरण, समाज और परिवार के कल्याण के लिए कार्य करने का आह्वान किया।

इस प्रकार, डॉ. मोहन भागवत जी का संदेश स्पष्ट था – जन, पर्यावरण और समाज की सेवा ही भारत माता का सच्चा पूजन है। यह विचार न केवल भारतीय संस्कृति की गहराई को दर्शाता है, बल्कि हमारे दायित्वों की भी याद दिलाता है।

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