आदिवासियों के घर वापसी कार्यक्रम की सराहना के पीछे RSS का प्लान क्या है?

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,15 जनवरी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) द्वारा आदिवासी समुदायों में चलाए जा रहे ‘घर वापसी’ कार्यक्रम की चर्चा इन दिनों जोरों पर है। इस कार्यक्रम के तहत आदिवासी समुदायों को उनके पारंपरिक धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ने की पहल की जा रही है। इस पहल की व्यापक सराहना हो रही है, लेकिन इसके पीछे संघ का असली रणनीतिक प्लान क्या है, यह समझना जरूरी है।

क्या है ‘घर वापसी’ कार्यक्रम?

‘घर वापसी’ कार्यक्रम का उद्देश्य उन लोगों को फिर से हिंदू धर्म और संस्कृति से जोड़ना है, जो समय के साथ अन्य धर्मों में परिवर्तित हो गए थे। आदिवासी इलाकों में यह कार्यक्रम तेजी से फैल रहा है, जहां संघ उनके सांस्कृतिक गौरव और परंपराओं को पुनर्जीवित करने में जुटा है।

RSS का असली उद्देश्य क्या है?

RSS की इस पहल के पीछे कई रणनीतिक उद्देश्य हैं:

  1. धार्मिक एकजुटता:
    संघ का मानना है कि आदिवासी समुदाय ऐतिहासिक रूप से हिंदू संस्कृति का हिस्सा रहे हैं। ‘घर वापसी’ कार्यक्रम के जरिए उन्हें मुख्यधारा हिंदू समाज से जोड़कर धार्मिक एकता को मजबूत किया जा रहा है।
  2. राजनीतिक प्रभाव:
    आदिवासी समुदाय कई राज्यों में चुनावी दृष्टि से अहम भूमिका निभाते हैं। RSS इन समुदायों को हिंदुत्व की विचारधारा से जोड़कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए मजबूत वोट बैंक तैयार कर रहा है।
  3. मिशनरियों के प्रभाव को कम करना:
    आदिवासी इलाकों में ईसाई मिशनरियों का प्रभाव काफी समय से रहा है। ‘घर वापसी’ के जरिए RSS इस प्रभाव को कम करके आदिवासियों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ना चाहता है।
  4. संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण:
    RSS का मानना है कि आदिवासी समाज की संस्कृति और परंपराएं हिंदू संस्कृति का ही हिस्सा हैं। इस कार्यक्रम के माध्यम से उनकी लोक परंपराओं, रीति-रिवाजों और त्योहारों को संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है।

समर्थन और विरोध

RSS की इस पहल को हिंदू संगठनों और कई सामाजिक समूहों का समर्थन मिल रहा है। उनका मानना है कि इससे सामाजिक समरसता और एकता बढ़ेगी। हालांकि, कई विपक्षी दल और सामाजिक कार्यकर्ता इसे धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप मानते हैं। उनका कहना है कि धर्मांतरण या धर्म में वापसी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का विषय है।

भविष्य की रणनीति

RSS का फोकस केवल धर्मांतरण पर नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, और आर्थिक विकास के माध्यम से आदिवासी इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत करने पर भी है। संघ आदिवासी युवाओं को शिक्षा और रोजगार से जोड़ने की दिशा में भी काम कर रहा है।

निष्कर्ष

RSS का ‘घर वापसी’ कार्यक्रम धार्मिक पुनर्जागरण से कहीं आगे का प्रयास है। इसके जरिए न केवल धार्मिक एकजुटता को बढ़ावा दिया जा रहा है, बल्कि सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रभाव को भी मजबूत किया जा रहा है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह रणनीति भारतीय समाज और राजनीति को किस दिशा में लेकर जाती है।

 

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