दिल्ली के पत्रकारों की मांग: घोषणापत्रों में शामिल हों ये प्रमुख मुद्दे

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,21 जनवरी।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर राजधानी के पत्रकारों ने आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, और कांग्रेस से अपने घोषणापत्रों में पत्रकारों की मांगों को शामिल करने की अपील की है। पत्रकारों का कहना है कि उनकी समस्याओं और आवश्यकताओं को राजनीतिक दलों द्वारा गंभीरता से लिया जाना चाहिए। उनकी पांच प्रमुख मांगें हैं, जो उनके जीवन, कामकाजी परिस्थितियों और सामाजिक सुरक्षा को बेहतर बनाने से जुड़ी हैं।

पत्रकारों की प्रमुख मांगें

  1. मेडिकल सुविधाएं राजपत्रित अधिकारियों के समान
    पत्रकारों ने मांग की है कि उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को मेडिकल सुविधाएं दी जाएं, जो वर्ष 1995 में क्लास वन राजपत्रित अधिकारियों को मिलती थीं। इसमें विशेषकर सरकारी अस्पतालों और निजी अस्पतालों में इलाज की पूरी सुविधा शामिल हो।
  2. वरिष्ठ पत्रकारों के लिए न्यूनतम सहयोग राशि
    60 वर्ष और उससे अधिक आयु के पत्रकारों के लिए न्यूनतम ₹20,000 प्रति माह की सहयोग राशि की मांग की गई है। इसका उद्देश्य वरिष्ठ पत्रकारों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है, जो सक्रिय पत्रकारिता से अलग हो चुके हैं।
  3. दिल्ली मीडिया क्लब की स्थापना
    वर्ष 1994 में आईटीओ क्षेत्र में स्थापित मीडिया कॉफी होम को पुनर्जीवित कर वहां एक दिल्ली मीडिया क्लब की स्थापना करने की मांग की गई है। यह स्थान पत्रकारों के लिए एक साझा मंच के रूप में काम करेगा, जहां वे संवाद और चर्चाएं कर सकेंगे।
  4. डिजिटल मीडिया और रेडियो पत्रकारों को मान्यता
    डिजिटल मीडिया और रेडियो में काम करने वाले पत्रकारों को दिल्ली सरकार द्वारा मान्यता देने की मांग की गई है। यह कदम डिजिटल युग में पत्रकारिता के बढ़ते प्रभाव को मान्यता देगा और इन पत्रकारों को सरकारी योजनाओं और अन्य लाभों का हकदार बनाएगा।
  5. यात्रा में छूट
    पत्रकारों ने दिल्ली मेट्रो में प्रति माह न्यूनतम ₹1,000 की निःशुल्क यात्रा की छूट की मांग की है। इसके अलावा, रेलवे में पहले की तरह यात्रा में छूट देने की भी अपील की गई है, जिससे पत्रकार अपनी रिपोर्टिंग के दौरान आने-जाने की लागत को कम कर सकें।

पत्रकारों की भूमिका और राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी

पत्रकार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में समाज को जागरूक करने और सही जानकारी प्रसारित करने का कार्य करते हैं। ऐसे में उनकी समस्याओं को नजरअंदाज करना उचित नहीं है। राजनीतिक दलों को इन मांगों को अपने घोषणापत्रों में शामिल कर यह संदेश देना चाहिए कि वे पत्रकारों और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को महत्व देते हैं।

निष्कर्ष

पत्रकारों की ये मांगे उनके जीवन की गुणवत्ता और कामकाजी परिस्थितियों को सुधारने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं। राजनीतिक दलों से अपील की गई है कि वे इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार करें और अपने घोषणापत्रों में इसे प्राथमिकता के साथ शामिल करें। इन मांगों को पूरा करना न केवल पत्रकारों को राहत देगा, बल्कि लोकतंत्र को और मजबूत करेगा।

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