क्रीड़ा भारती के ‘जिजामाता सम्मान’ समारोह में खिलाड़ियों की माताओं का हुआ सम्मान

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,22 जनवरी।
क्रीड़ा भारती द्वारा भोपाल के रविंद्र भवन में आयोजित ‘जिजामाता सम्मान’ समारोह में उन माताओं का सम्मान किया गया जिन्होंने अपने बच्चों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी बनाने में अहम भूमिका निभाई। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख भाई मांडविया, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, और मध्यप्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास सारंग सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

माँ का योगदान अमूल्य: दत्तात्रेय होसबाले

सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा, “सैनिक और खिलाड़ी देश की एकता और सम्मान के प्रतीक होते हैं। पदक विजेता खिलाड़ियों को तैयार करने वाले माता-पिता के परिश्रम और संघर्ष को चिन्हित करना और उनका सम्मान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।” उन्होंने जिजामाता के जीवन का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने अपने बेटे छत्रपति शिवाजी महाराज को दृढ़ संकल्प और उच्च संस्कारों के साथ तैयार किया।

उन्होंने कहा कि खेल क्षेत्र में संस्कार और संस्कृति का समावेश होना चाहिए। क्रीड़ा भारती का उद्देश्य भी यही है कि देश के खिलाड़ियों के मन में राष्ट्रीय गौरव और सम्मान का भाव जागृत हो।

सम्मानित माताएँ और उनकी प्रेरक कहानियाँ

कार्यक्रम में छह खिलाड़ियों की माताओं को सम्मानित किया गया:

  1. सरोज देवी: ओलंपिक गोल्ड और सिल्वर मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा की मां (यह सम्मान उनके काका भीम सिंह ने प्राप्त किया)।
  2. गौरी करमकर: भारत की पहली महिला जिम्नास्ट दीपा करमकर की मां।
  3. मोनी देवी: ओलंपिक बॉक्सिंग खिलाड़ी लवलीना बोरगोहेन की मां।
  4. उषा कुमारी: भारतीय हॉकी टीम के पूर्व गोलकीपर पीआर श्रीजेश की मां।
  5. कमला देवी: भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ी विवेक सागर की मां।
  6. श्वेता लेखरा: पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता अवनि लेखरा की मां।

खेल और संस्कार: मुख्य विचार

केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख भाई मांडविया ने कहा, “जब खिलाड़ी पदक जीतकर तिरंगा लहराते हैं, तो उस गौरव का अहसास माता-पिता के साथ पूरे देश को होता है। जिजामाता जैसी माताएँ शिवाजी महाराज जैसे राष्ट्रनायक तैयार करती हैं। यह कार्यक्रम माताओं के योगदान को स्थापित करने का प्रेरक उदाहरण है।”

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा, “माता-पिता बच्चों की पहली शिक्षक होते हैं। खिलाड़ियों की सफलता में उनके माता-पिता की भूमिका अतुलनीय है। युवाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से सुदृढ़ करना देश की प्रगति के लिए आवश्यक है।”

क्रीड़ा ज्ञान प्रतियोगिता और अन्य कार्यक्रम

समारोह में क्रीड़ा भारती द्वारा आयोजित ‘क्रीड़ा ज्ञान प्रतियोगिता-2024’ के विजेताओं को भी सम्मानित किया गया। पार्थ प्रजापत को 1 लाख रुपये का प्रथम पुरस्कार मिला, जबकि देव करेलिया और अभिषेक कुमार को 50-50 हजार रुपये का द्वितीय पुरस्कार प्रदान किया गया।

इस अवसर पर क्रीड़ा भारती के ध्येय गीत ‘खेल खिलाड़ी खेल’ का लोकार्पण भी किया गया।

निष्कर्ष

‘जिजामाता सम्मान’ समारोह ने उन माताओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जो देश के लिए खिलाड़ी और राष्ट्रभक्त तैयार करती हैं। यह कार्यक्रम न केवल मातृत्व के महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि खेल और संस्कार के बीच की गहरी कड़ी को भी उजागर करता है। क्रीड़ा भारती के इस प्रयास ने यह संदेश दिया कि एक मजबूत और संस्कारित युवा पीढ़ी ही देश को विश्व पटल पर गौरवान्वित कर सकती है।

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