दिल्ली दंगों के पांच साल: पीड़ितों की पीड़ा और न्याय की उम्मीद

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,25 जनवरी।
फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों को पांच साल पूरे हो गए हैं। इस अवसर पर फेडरेशन ऑफ आरडब्ल्यूए दिल्ली द्वारा “दिल्ली के दर्द के पांच साल” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम एमटीएनएल ग्राउंड, डीडीए कम्युनिटी सेंटर, यमुना विहार में आयोजित हुआ, जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों, शिक्षाविदों और दंगा पीड़ित परिवारों ने भाग लिया।

पीड़ितों ने साझा किया अपना दर्द

इस आयोजन में दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर डॉ. सोनाली, विश्व हिंदू परिषद के सह प्रमुख दयालु जी महाराज, हिंदू जागरण मंच के संयोजक रामकिशन जी और कर्मयोगी संस्था की कल्पना जी सहित कई गणमान्य लोग शामिल हुए।

पीड़ित परिवारों ने उन भयावह दिनों को याद किया जब हिंसा भड़क उठी थी। उन्होंने बताया कि उनकी संपत्तियों को आग के हवाले कर दिया गया, व्यवसाय नष्ट हो गए और परिवारों को जान-माल का नुकसान सहना पड़ा। कई पीड़ितों ने आरोप लगाया कि मुआवजे के वितरण में भी पक्षपात किया गया, जिससे वे अब भी न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

दंगों की पृष्ठभूमि और आरोप

विश्व हिंदू परिषद के दयालु जी महाराज ने कहा कि यह दंगे पूर्व नियोजित थे और इसका उद्देश्य हिंदू समाज में डर पैदा करना था। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि समाज संगठित होकर ऐसे षड्यंत्रों के खिलाफ एकजुट रहे

दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर डॉ. सोनाली ने कहा कि उन्होंने इन दंगों पर शोध कर एक पुस्तक तैयार की है, जिसमें गहराई से विश्लेषण किया गया है। उनका दावा था कि इन दंगों की योजना कुछ कट्टरपंथी संगठनों और अर्बन नक्सल नेटवर्क द्वारा बनाई गई थी

हिंदू जागरण संस्था कर्मयोगी की कल्पना जी ने कहा कि 2020 के दंगों का उद्देश्य हिंदू आबादी को भयभीत करना और उन्हें विस्थापित करना था। उन्होंने कहा कि समाज को ऐसे तत्वों से सतर्क रहने की आवश्यकता है

क्या था CAA विरोध और दंगों का संबंध?

हिंदू जागरण मंच के रामकिशन जी ने आरोप लगाया कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा, CAA (नागरिकता संशोधन कानून) के विरोध की आड़ में की गई। उनका मानना था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान इन दंगों को भड़काया गया, ताकि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि धूमिल की जा सके

न्याय और पुनर्वास की मांग

कार्यक्रम के दौरान दंगा पीड़ितों ने कहा कि हर साल इस तरह के आयोजन से उन्हें बल मिलता है और उनके परिवार के जो सदस्य हिंसा का शिकार हुए, उनकी स्मृति जीवित रहती है। उन्होंने सरकार से अपील की कि दंगों में हुई क्षति की निष्पक्ष जांच हो और पीड़ितों को न्याय मिले

समाज को एकजुट रहने की आवश्यकता

आयोजन में वक्ताओं ने सामाजिक एकता और शांति बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हिंसा किसी भी समस्या का हल नहीं है और सभी समुदायों को मिलकर आपसी सौहार्द बनाए रखना चाहिए

निष्कर्ष

दिल्ली के 2020 दंगे आज भी उन परिवारों के लिए एक दर्दनाक स्मृति हैं, जिन्होंने अपनों को खो दिया। पांच साल बाद भी कई पीड़ित न्याय की राह देख रहे हैं। इस तरह के आयोजनों से दंगा पीड़ितों की आवाज़ उठती है और समाज को एकजुट रहने का संदेश मिलता है

अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या न्यायिक प्रक्रिया और सरकारी योजनाओं से इन प्रभावित लोगों को राहत मिलती है या नहीं

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