Meta की नई कंटेंट मॉडरेशन नीति: क्या बदलेगी हिंदू विरोधी सेंसरशिप की स्थिति?

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,25 जनवरी।
सोशल मीडिया दिग्गज Meta (पूर्व में Facebook) एक बार फिर सुर्खियों में है। हाल ही में, कंपनी ने कंटेंट मॉडरेशन प्रणाली में बदलाव करने और “अधिक अभिव्यक्ति” (More Speech) को बढ़ावा देने की बात कही है। लेकिन क्या यह बदलाव वास्तव में निष्पक्षता लाएगा, या यह पूर्वाग्रहों से ग्रस्त रहेगा?

पूर्व Facebook कर्मचारी का खुलासा

एक पूर्व Facebook कर्मचारी ने अंदरूनी जानकारी साझा करते हुए बताया कि कैसे पुरानी प्रणाली के तहत प्रो-हिंदू कंटेंट को नियमित रूप से सेंसर किया जाता था। उन्होंने यह भी दावा किया कि Meta के कंटेंट मॉडरेशन सिस्टम में संस्थागत स्तर पर ऐसे अवरोध (Institutional Barriers) मौजूद थे, जिनके कारण हिंदू दृष्टिकोण रखने वाली सामग्री को हटाने या उसकी पहुंच सीमित करने की प्रक्रिया आसान हो जाती थी।

कैसे होती थी हिंदू विचारधारा की सेंसरशिप?

पूर्व कर्मचारी के अनुसार, कंटेंट मॉडरेशन टीम में शामिल कई लोग या तो विशेष विचारधारा के समर्थक थे या फिर कंपनी के अंदरूनी दिशानिर्देश इस तरह से बनाए गए थे कि वे कुछ खास विषयों को निशाना बनाते थे।

  1. प्रो-हिंदू पोस्ट्स को ‘हेट स्पीच’ बताकर हटाना
    • कई बार ऐसे पोस्ट, जो केवल हिंदू संस्कृति, परंपराओं या धार्मिक विचारों से जुड़े होते थे, उन्हें ‘हेट स्पीच’ (Hate Speech) के तहत रिपोर्ट कर दिया जाता था।
    • यहां तक कि हिंदू त्योहारों या धार्मिक आयोजनों से जुड़े पोस्ट भी “संवेदनशील सामग्री” बताकर प्रतिबंधित कर दिए जाते थे।
  2. शिकायतों की अनदेखी
    • यदि किसी प्रो-हिंदू अकाउंट के पोस्ट को रिपोर्ट किया जाता था, तो जल्दी कार्रवाई होती थी, लेकिन यदि हिंदू-विरोधी सामग्री के खिलाफ शिकायत की जाती थी, तो उसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता था।
    • “कई बार हमारी टीम ने स्पष्ट रूप से नफरत फैलाने वाले कंटेंट को देखा, लेकिन उच्च स्तर पर उसे हटाने की अनुमति नहीं दी गई,” पूर्व कर्मचारी ने कहा।
  3. सिस्टम में पक्षपात
    • AI और मॉडरेशन एल्गोरिदम भी कुछ खास कीवर्ड्स पर अधिक ध्यान देते थे, जिससे हिंदू विचारधारा के समर्थकों की पोस्ट अधिक निशाने पर आती थीं।
    • “अगर कोई पोस्ट धर्म विशेष के खिलाफ हिंसा की बात करता था, तो वह तुरंत हटा दी जाती थी। लेकिन हिंदू धर्म के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां अक्सर बनी रहती थीं,” उन्होंने बताया।

क्या Meta की नई नीति बदलाव लाएगी?

Meta ने अपनी नई नीति में “अधिक अभिव्यक्ति” (More Speech) की बात कही है, जिसका उद्देश्य अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बढ़ावा देना है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह बदलाव पूर्वाग्रहों को दूर करने में सफल होगा?

  • क्या अब हिंदू विचारधारा को समान रूप से स्थान मिलेगा?
  • क्या कंटेंट मॉडरेशन टीम में सुधार होगा, या वही पुरानी विचारधारा जारी रहेगी?
  • क्या एआई आधारित सेंसरशिप को और पारदर्शी बनाया जाएगा?

निष्कर्ष

Meta द्वारा कंटेंट मॉडरेशन में बदलाव एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, लेकिन यह देखना जरूरी होगा कि क्या यह बदलाव वास्तव में निष्पक्षता लाने में सफल होगा या नहीं। अगर संस्थागत पक्षपात बना रहता है, तो केवल नीति बदलने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। हिंदू विचारधारा और संस्कृति से जुड़े कंटेंट के साथ बराबरी का व्यवहार किया जाए, यही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से अपेक्षा है।

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