आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25: वैश्विक आर्थिक बदलावों के बीच भारत ने 6.4% GDP वृद्धि का अनुमान जताया

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 1 फरवरी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 प्रस्तुत किया, जिसमें भारत की आर्थिक दिशा, उपलब्धियां और ऐसे नीति उपायों का विवरण दिया गया जो देश की विकास यात्रा को मजबूत करने के लिए किए गए हैं। सर्वेक्षण ने भारत के आगामी विकास को लेकर सकारात्मक संकेत दिए हैं और वैश्विक आर्थिक बदलावों के बावजूद देश के सतत विकास की दिशा को स्पष्ट किया है।

वास्तविक GDP और वृद्धि का अनुमान

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत का वास्तविक GDP 2024-25 में 6.4% की दर से वृद्धि करने का अनुमान है, जो कि देश के दशकीय औसत के अनुरूप है। इसके अलावा, वास्तविक सकल मूल्यवर्धन (GVA) भी 6.4% बढ़ने का अनुमान है। FY26 में GDP वृद्धि 6.3% से 6.8% के बीच रहने की उम्मीद है। सर्वेक्षण ने कहा कि मध्यकालिक विकास को बढ़ावा देने के लिए जमीनी स्तर पर संरचनात्मक सुधार और विधायन में छूट आवश्यक हैं, जो वैश्विक प्रतिस्पर्धा में वृद्धि करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

वैश्विक रुझान और भू-आर्थिक बदलाव

सर्वेक्षण में वैश्विक अर्थव्यवस्था में भू-आर्थिक खंडन (Geo-Economic Fragmentation) के बढ़ने का उल्लेख किया गया है, जो वैश्वीकरण से अलग होते हुए संभावित आर्थिक पुनर्गठन का संकेत देता है। 2023 में वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि 3.3% रही, जो IMF के 3.2% के पूर्वानुमान से थोड़ी अधिक है। इस बदलाव से भारत के लिए एक अवसर उत्पन्न हुआ है, जो इसे वैश्विक मानचित्र पर मजबूती से उभरने में मदद करेगा।

पूंजीगत खर्च और बुनियादी ढांचे की वृद्धि

भारत में पूंजीगत खर्च (CAPEX) FY21 से FY24 के बीच लगातार बढ़ रहा है, जिसमें चुनावों के बाद 8.2% की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई। सरकार ने बुनियादी ढांचे के प्रमुख क्षेत्रों पर पूंजीगत खर्च बढ़ाया, जिसमें रेलवे, सड़क, और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में 38.8% की वृद्धि देखी गई। इस प्रकार, सरकार ने बुनियादी ढांचा कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

महंगाई और मौद्रिक नीति

रिटेल महंगाई FY24 में 5.4% से घटकर FY25 में 4.9% तक आ गई है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अनुमान जताया है कि उपभोक्ता मूल्य महंगाई FY26 तक 4% के लक्ष्य तक पहुंच जाएगी। इसके साथ ही, बैंक ऋण में भी लगातार वृद्धि देखी जा रही है, और गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPAs) में 12 साल की सबसे बड़ी गिरावट आई है, जो सितंबर 2024 में 2.6% तक पहुंच गई।

निर्यात और विदेशी व्यापार

भारत के निर्यात में FY25 में 6% की वृद्धि देखी गई, जिसमें सेवाओं का निर्यात 11.6% बढ़ा। भारत अब टेलीकम्युनिकेशंस, कंप्यूटर और सूचना सेवाओं के क्षेत्र में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है। विदेशी मुद्रा भंडार (Forex reserves) दिसंबर 2024 तक 640.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो 10.9 महीने के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त है।

नवाचार और आत्मनिर्भरता

भारत का नवाचार क्षेत्र लगातार प्रगति कर रहा है, और WIPO 2022 रिपोर्ट के अनुसार, भारत पेटेंट फाइलिंग में विश्व में 6वें स्थान पर है। सरकार ने ₹50,000 करोड़ का आत्मनिर्भर भारत कोष लॉन्च किया है, जिससे MSMEs को इक्विटी फंडिंग मिल सकेगी और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, स्मार्टफोन आयात में भी भारी गिरावट आई है, अब 99% स्मार्टफोन घरेलू स्तर पर निर्मित किए जा रहे हैं।

सेवाएं और रोजगार

भारत का सेवा क्षेत्र निर्यात में वृद्धि की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है, जिसमें FY25 में अप्रैल से नवंबर तक 12.8% की वृद्धि दर्ज की गई। बेरोजगारी दर 2023-24 में घटकर 3.2% हो गई है, जो 2017-18 में 6.0% थी। सरकार की पीएम-इंटर्नशिप योजना ने रोजगार के अवसर उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

सामाजिक सेवाएं और बुनियादी ढांचे का विकास

सरकार ने सामाजिक सेवाओं पर ध्यान केंद्रित किया है, जिसमें FY21 से FY25 तक सामाजिक सेवाओं के व्यय में 15% की वार्षिक वृद्धि देखी गई है। जल जीवन मिशन, स्वच्छ भारत मिशन और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसे प्रमुख पहलों ने ग्रामीण और शहरी बुनियादी ढांचे में सुधार किया है। अब 12 करोड़ घरों को पाइप के माध्यम से पेयजल मिल रहा है और 89 लाख घरों का निर्माण प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत किया गया है।

भविष्य का दृष्टिकोण

भारत 2047 तक “विकसित भारत” के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 8% की वृद्धि दर का लक्ष्य निर्धारित कर चुका है। इसका ध्यान नीति में छूट, सूक्ष्म, छोटे और मझोले उद्यमों (SMEs) के लिए अनुकूल वातावरण बनाने और बुनियादी ढांचे में निवेश पर रहेगा। सरकार अंतरिक्ष परियोजनाओं को भी आगे बढ़ा रही है, जिसमें गगनयान मिशन और चंद्रयान-4 जैसे महत्वाकांक्षी कार्यक्रम शामिल हैं।

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 भारत की वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद उसके लचीलेपन और सतत विकास की दिशा को स्पष्ट करता है, जो आने वाले वर्षों में नवाचार और विकास के मार्ग पर भारत को आगे बढ़ाएगा।

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