भारत का मार्ग “विकसित भारत” की ओर संविधान के आदर्शों से प्रेरित: राज्यसभा अध्यक्ष धनखड़

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 1 फरवरी।
राज्यसभा अध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में भारत की “विकसित भारत” (Developed India) की ओर बढ़ती यात्रा पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत भारतीय संविधान के 75 वर्षों और भारतीय गणराज्य के 75 वर्षों की पूरी होने की ऐतिहासिक उपलब्धि को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए की।

धनखड़ ने अपने संबोधन में संविधान के मूल आदर्शों की महत्ता पर जोर दिया और कहा कि ये आदर्श सेवा, शासन, समृद्धि और गर्व की भावना से प्रेरित हैं, जो भारत के विकास में मार्गदर्शक सिद्ध हो रहे हैं।

महाकुंभ और सांस्कृतिक जागरूकता

धनखड़ ने महाकुंभ को भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना का प्रतीक बताया और मौनी अमावस्या के दौरान हुए दुखद हादसे पर दुःख व्यक्त किया। उन्होंने घायल लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।

सरकारी योजनाओं से सामाजिक सशक्तिकरण

राज्यसभा अध्यक्ष ने कई महत्वपूर्ण सरकारी पहलों की सराहना की, जो भारत को संवृद्धि और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ा रही हैं। इनमें स्वच्छ भारत अभियान, प्रधानमंत्री उज्जवला योजना, और जल जीवन मिशन शामिल हैं, जिन्होंने 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला और उन्हें आत्मसम्मान और जीवन में आगे बढ़ने का अवसर प्रदान किया।

महिला सशक्तिकरण और खेलों में सफलता

धनखड़ ने भारतीय महिलाओं की उपलब्धियों पर गर्व व्यक्त किया, जिन्होंने लड़ाकू विमानों से लेकर कॉर्पोरेट दुनिया तक में अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में महिला कैडेटों को प्रवेश देने जैसे प्रगतिशील निर्णयों को महिलाओं की सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर बताया। इसके साथ ही, ओलंपिक और पैरालंपिक में भारतीय खिलाड़ियों की सफलता का भी उल्लेख किया।

वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत का बढ़ता प्रभाव

धनखड़ ने भारत के वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सुधार की ओर भी ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने QS वर्ल्ड फ्यूचर स्किल्स इंडेक्स में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल तकनीकी नेतृत्व में भारत के दूसरे स्थान का उल्लेख किया और ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भारत के 76वें से 39वें स्थान तक की प्रगति को सराहा।

सतत विकास की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता

धनखड़ ने राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन और कृषि क्षेत्र को सशक्त करने की सरकार की योजनाओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दूध, दाल और मसाले उत्पादक देश मानते हुए इसके सतत विकास की दिशा में किए गए प्रयासों की सराहना की।

संविधान और एकता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

धनखड़ ने धारा 370 के निरसन के बाद जम्मू और कश्मीर में हुई प्रगति का भी उल्लेख किया, विशेष रूप से शांतिपूर्ण चुनावों और क्षेत्र के विकास की दिशा में किए गए कदमों की सराहना की। उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे नेताओं की विरासत का भी स्मरण किया और राष्ट्र की एकता और संप्रभुता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया।

आगे की राह: “विकसित भारत”

अंत में, धनखड़ ने सभी सांसदों से एकजुट होकर “विकसित भारत” के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने यह भी कहा कि 2047 तक एक समृद्ध और सशक्त भारत की परिकल्पना को साकार करने में हर भारतीय नागरिक का योगदान आवश्यक होगा।

निष्कर्ष:
धनखड़ के संबोधन में स्पष्ट रूप से यह संदेश दिया गया कि भारत अपने संविधान के आदर्शों के साथ आगे बढ़ रहा है और “विकसित भारत” की दिशा में कई क्षेत्रों में अभूतपूर्व परिवर्तन लाए जा रहे हैं। अब यह हम सभी पर निर्भर है कि हम इस यात्रा को और तेजी से आगे बढ़ाएं और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक समृद्ध और सशक्त भारत का निर्माण करें।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.