दिल्ली में ग्लोबल सनातन एड फाउंडेशन के कार्यक्रम में जनरल जी.डी. बख्शी की किताबों का विमोचन

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,19 फरवरी।
ग्लोबल सनातन एड फाउंडेशन द्वारा इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में 16 फरवरी को एक भव्य आयोजन किया गया, जिसमें जनरल जी.डी. बख्शी की आत्मकथात्मक पुस्तक “बियॉन्ड फियर: ए पर्सनल जर्नी टू सोमा” और उनकी ऐतिहासिक रचना “हिस्ट्री ऑफ हिंदुइज़्म” का विमोचन किया गया।

उल्लेखनीय अतिथियों की उपस्थिति

इस कार्यक्रम की मेजबानी ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के डॉ. विवेक कौल, जो ग्लोबल सनातन एड फाउंडेशन और सनातन एड इंडिया के संस्थापक हैं, ने की। इस अवसर पर उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे, जबकि लेफ्टिनेंट जनरल एच.एस. लिड्डर (से.नि.) ने विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई।

कार्यक्रम में रक्षा क्षेत्र के वरिष्ठ अधिकारी, शिक्षाविद, और विद्वान भी शामिल हुए। इस दौरान अनिल धीर, एडवोकेट अमिता सचदेवा, अंकुर पाठक, मानोषी सिन्हा, राहुल देववन, सूर्य रॉय, और वेदवीर आर्य जैसे प्रतिष्ठित इंडोलॉजी (भारतीय संस्कृति एवं इतिहास) विशेषज्ञों को “शाश्वत अलंकार पुरस्कार” से सम्मानित किया गया।

जनरल बख्शी का प्रेरणादायक संबोधन

जनरल बख्शी ने अपनी किताब के कुछ अंश सुनाते हुए युद्ध के अनुभव, सैन्य रणनीतियाँ, साहस और राष्ट्रवाद की विचारधारा पर चर्चा की। उनकी ओजस्वी और देशभक्ति से भरपूर वाणी ने पूरे आयोजन को एक देशभक्तिपूर्ण ऊर्जा से भर दिया। उनके संबोधन से प्रेरित होकर लेफ्टिनेंट जनरल लिड्डर और राज्यपाल गुरमीत सिंह ने भी जनरल बख्शी के साथ अपने अनुभव साझा किए।

सनातन मूल्यों को संरक्षित करने का संकल्प

इस आयोजन के समापन पर डॉ. विवेक कौल ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए “सनातन वेलफेयर एंड एडवाइजरी बोर्ड” की स्थापना की घोषणा की, जिसका उद्देश्य सनातन संस्कृति और मूल्यों का संरक्षण और प्रचार-प्रसार करना होगा।

भावनात्मक क्षण और राष्ट्रभक्ति का संदेश

इस कार्यक्रम का सबसे भावुक क्षण तब आया जब 99 वर्षीय भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) के दिग्गज माधवन पिल्लई ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस का प्रसिद्ध गीत “कदम कदम बढ़ाए जा” गाया। उनकी देशभक्ति से भरी प्रस्तुति ने पूरे सभागार को गर्व और भावना से भर दिया।

निष्कर्ष

यह आयोजन राष्ट्रवाद, इतिहास और सनातन संस्कृति के प्रति सम्मान का प्रतीक बन गया। जनरल जी.डी. बख्शी की पुस्तकों का विमोचन केवल एक साहित्यिक पहल नहीं, बल्कि भारतीय परंपराओं, सैन्य इतिहास और राष्ट्रप्रेम के प्रति जागरूकता फैलाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास था। यह कार्यक्रम उपस्थित सभी लोगों के मन में एक अमिट छाप छोड़ने में सफल रहा।

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