समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,20 फरवरी। दिल्ली की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है, क्योंकि रेखा गुप्ता को राजधानी की नई मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ी रेखा गुप्ता भारतीय जनता पार्टी (BJP) की जमीनी स्तर की कार्यकर्ता रही हैं और अब दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं। उनका सफर एक साधारण कार्यकर्ता से लेकर मुख्यमंत्री पद तक बेहद प्रेरणादायक है।
राजनीतिक सफर: छात्र संघ से मुख्यमंत्री पद तक
रेखा गुप्ता ने अपनी राजनीतिक यात्रा दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) से शुरू की। उन्होंने 1996-97 में DUSU की अध्यक्ष बनकर छात्र राजनीति में अपनी मजबूत पहचान बनाई। इसके बाद वह तीन बार पार्षद बनीं और दक्षिण दिल्ली नगर निगम (MCD) की मेयर भी रह चुकी हैं।
बीजेपी ने उन्हें 2022 में एमसीडी मेयर चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) की शैली ओबेरॉय के खिलाफ उम्मीदवार भी बनाया था। इस बार विधानसभा चुनाव में उन्होंने शालीमार बाग सीट से आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी वंदना कुमारी को हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। इससे पहले, दो बार उन्हें वंदना कुमारी के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन इस बार उन्होंने जबरदस्त वापसी की।
शिक्षा और पारिवारिक पृष्ठभूमि
रेखा गुप्ता का जन्म हरियाणा के जींद जिले के जुलाना उपमंडल के नंदगढ़ गांव में 1974 में हुआ था। हालांकि, जब वह सिर्फ दो साल की थीं, तब उनका परिवार दिल्ली आ गया, और तभी से उनका जीवन दिल्ली से ही जुड़ा रहा।
उन्होंने पूरी पढ़ाई दिल्ली में ही की और LLB की डिग्री हासिल की। उनकी पढ़ाई और प्रशासनिक अनुभव उन्हें एक कुशल और योग्य नेता के रूप में स्थापित करता है।
बीजेपी ने रेखा गुप्ता पर क्यों लगाया दांव?
बीजेपी ने रेखा गुप्ता को दिल्ली की कमान सौंपकर महिला नेतृत्व और संगठनात्मक अनुभव को प्राथमिकता दी है। इसके पीछे कई कारण हैं—
- संगठन में मजबूत पकड़: रेखा गुप्ता दिल्ली बीजेपी में महासचिव और भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रही हैं। संगठन में उनका गहरा अनुभव उन्हें मजबूत बनाता है।
- महिला नेतृत्व को प्राथमिकता: बीजेपी के किसी भी शासित राज्य में महिला मुख्यमंत्री नहीं हैं। ऐसे में, दिल्ली में एक महिला को सीएम बनाना पार्टी की रणनीति का अहम हिस्सा हो सकता है।
- वैश्य समुदाय का समर्थन: रेखा गुप्ता वैश्य समुदाय से आती हैं, जो दिल्ली में एक महत्वपूर्ण मतदाता समूह है। बीजेपी इस वर्ग का समर्थन मजबूत करना चाहती है।
- छात्र राजनीति से लेकर एमसीडी तक का अनुभव: उन्होंने DUSU, पार्षद, मेयर और अब विधायक के रूप में जनता की सेवा की है। जमीनी स्तर से उठकर उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है।
- AAP को सीधी चुनौती: दिल्ली की राजनीति में आम आदमी पार्टी (AAP) के मजबूत प्रभाव को देखते हुए, बीजेपी को एक ऐसे नेता की जरूरत थी, जो AAP को सीधी टक्कर दे सके।
क्या बदल सकती हैं रेखा गुप्ता?
मुख्यमंत्री बनने के बाद, रेखा गुप्ता के सामने कई चुनौतियां होंगी। दिल्ली में विकास, बिजली-पानी संकट, प्रदूषण और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दे सबसे अहम होंगे। उनका प्रशासनिक अनुभव और संगठनात्मक क्षमता इन चुनौतियों से निपटने में मददगार हो सकते हैं।
अब देखना यह होगा कि क्या रेखा गुप्ता बीजेपी के लिए दिल्ली में सत्ता का रास्ता मजबूत कर पाएंगी? क्या वह आम आदमी पार्टी के मजबूत किले में सेंध लगा पाएंगी? यह तो आने वाले समय में ही साफ होगा, लेकिन इतना तय है कि दिल्ली की राजनीति में अब एक नया और दिलचस्प दौर शुरू हो चुका है।