छात्रा की मौत पर पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीकांत जेना का KIIT विश्वविद्यालय पर हमला, जांच की मांग

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,21 फरवरी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीकांत कुमार जेना ने KIIT विश्वविद्यालय में एक छात्रा की मौत के बाद छात्रों के विरोध-प्रदर्शन से निपटने के तरीके की कड़ी निंदा की है। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप लगाया कि उसने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के प्रति असंवेदनशील और तानाशाही रवैया अपनाया।

जेना ने इस घटना को “बेहद दुर्भाग्यपूर्ण” करार देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों की चिंताओं को हल करने के बजाय उन्हें डराने-धमकाने, शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने और नेपाली छात्रों को हॉस्टल से जबरन निकालने जैसे अमानवीय कदम उठाए।

उन्होंने कहा, “ऐसी कार्रवाई न केवल मौलिक मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह KIIT प्रशासन की पूरी तरह से विफलता को भी दर्शाती है। दुखी और विरोध कर रहे छात्रों को धमकाना और उनके साथ दुर्व्यवहार करना शक्ति का घोर दुरुपयोग और छात्रों की आवाज को दबाने का प्रयास है।”

अंतरराष्ट्रीय छात्रों के साथ भेदभाव पर नाराजगी

पूर्व मंत्री ने विशेष रूप से नेपाली छात्रों के प्रति विश्वविद्यालय के व्यवहार पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “एक मित्र राष्ट्र के छात्रों के साथ ऐसा व्यवहार अस्वीकार्य है और इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।”

उच्च शिक्षा मंत्री पर भी साधा निशाना

जेना ने ओडिशा के उच्च शिक्षा मंत्री की उस टिप्पणी की भी आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा था कि KIIT एक निजी संस्थान होने के कारण सरकार के पास इसमें हस्तक्षेप करने की सीमित शक्ति है। उन्होंने इस बयान को “छात्र कल्याण और उच्च शिक्षा में जवाबदेही की अनदेखी” करार दिया।

निष्पक्ष जांच और जवाबदेही की मांग

श्रीकांत जेना ने इस मामले में निष्पक्ष और गहन जांच की मांग की, ताकि छात्रा की मौत और विश्वविद्यालय द्वारा विरोध प्रदर्शनों के दमन के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जा सके। उन्होंने कहा, “KIIT प्रबंधन को इस पूरे मामले में जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। सभी छात्रों की सुरक्षा, गरिमा और अधिकार सुनिश्चित करने के लिए तुरंत आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाए जाने चाहिए।”

देशभर में उठा आक्रोश

यह घटना व्यापक आक्रोश का कारण बनी है, और इससे निजी विश्वविद्यालयों की निगरानी को लेकर कड़े नियमों की मांग तेज हो गई है। छात्रों, अभिभावकों और शिक्षाविदों ने विश्वविद्यालय प्रशासन की निष्क्रियता और अमानवीय व्यवहार पर सवाल उठाए हैं। इस मामले में न्याय की मांग के साथ विरोध प्रदर्शन भी बढ़ते जा रहे हैं।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.