एसआरएम यूनिवर्सिटी सोनीपत ने “भारतीय ज्ञान प्रणाली: गीता-प्रेरित नीडोनॉमिक्स और अनु-गीता की प्रासंगिकता” पर ऑनलाइन एफडीपी का आयोजन किया

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नीडोनॉमिक्स (आवश्यकताओं का अर्थशास्त्र) गीता के प्रकाश स्तंभ के रूप में कार्य करता है और भारतीय ज्ञान प्रणाली में समग्र विकास के लिए एक मार्गदर्शक है, जिसे नई शिक्षा नीति 2020 में अनिवार्य किया गया है,” यह कहना है नीडोनॉमिक्स स्कूल ऑफ थॉट के प्रणेता और तीन बार कुलपति रहे प्रो. मदन मोहन गोयल का। वह कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उन्होंने एसआरएम विश्वविद्यालय सोनीपत द्वारा आयोजित और यूजीसी -मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (एमएमटीटीसी ), जेएनवी विश्वविद्यालय जोधपुर के सहयोग से आयोजित ऑनलाइन एफडीपी कार्यक्रम में अपने विचार रखे। उनके व्याख्यान का विषय था ‘भारतीय ज्ञान प्रणाली: गीता-प्रेरित नीडोनॉमिक्स और अनु-गीता की प्रासंगिकता’।

एफडीपी समन्वयक डॉ. अंजलि दीक्षित, एसोसिएट प्रोफेसर (कानून) ने स्वागत भाषण दिया और प्रो. एम.एम. गोयल की उपलब्धियों पर एक प्रशस्ति पत्र प्रस्तुत किया।

प्रो. गोयल ने बताया कि नीडोनॉमिक्स (आवश्यकताओं की अर्थव्यवस्था) जीवन बीमा निगम (एलआईसी ) के लोगो से लिया गया है, जिसमें “योगक्षेमं वहाम्यहम” (गीता 9:22) का उल्लेख है। यह एक सामान्य समझ (कॉमन सेंस) पर आधारित दृष्टिकोण है, जो नैतिक, अहिंसक, पर्यावरण-अनुकूल और आध्यात्मिक है।

उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली में गीता आधारित नीडोनॉमिक्स को शामिल करना एक रणनीतिक कदम है, जिससे विद्यार्थियों में अपनी सांस्कृतिक पहचान और गौरव की भावना विकसित हो सके।

प्रो. गोयल ने कहा कि देवी सरस्वती का वाहन हंस है, जिसकी चोंच इतनी संवेदनशील होती है कि वह दूध और पानी के मिश्रण से दूध को अलग कर सकती है। यह अच्छे और बुरे, मूल्यवान और बेकार के बीच भेदभाव करने की शक्ति का प्रतीक है।

उन्होंने बताया कि गीता-प्रेरित नीडोनॉमिक्स और अनु-गीता आधुनिक चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय ज्ञान प्रणाली का एक प्रभावी समाधान हैं।

प्रो. गोयल ने कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली पर आधारित शिक्षा की एक नई कहानी लिखने हेतु , हमें स्ट्रीट स्मार्ट (सरल, नैतिक, कार्य-उन्मुख, उत्तरदायी और पारदर्शी) बनना होगा ।

प्रो. गोयल के अनुसार, ज्ञान अर्थव्यवस्था में देवी सरस्वती का शासन होता है, जो ज्ञान, सृजनशीलता, शिक्षा और बुद्धिमत्ता की देवी हैं। उनकी कृपा से ही लक्ष्मी (धन और समृद्धि) का सृजन संभव है।

उन्होंने कहा, यदि हम देवी सरस्वती के योग्य संतान बनें, तो हम में आलोचनात्मक सोच और बुद्धिमत्ता विकसित हो सकती है। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जहां सरस्वती निवास करती हैं, वहां लक्ष्मी का आगमन स्वाभाविक रूप से होता है।

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