भारत ने USAID के $21 मिलियन वोटर टर्नआउट फंडिंग की समीक्षा शुरू की, बताया ‘गंभीर रूप से चिंताजनक’

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,22 फरवरी।
भारत सरकार ने अमेरिकी एजेंसी USAID द्वारा भारत में मतदाता टर्नआउट को प्रभावित करने के लिए $21 मिलियन (लगभग 175 करोड़ रुपये) की फंडिंग की खबरों की आंतरिक समीक्षा शुरू कर दी है। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब डीडी न्यूज़ की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ।

विदेश मंत्रालय ने जताई कड़ी आपत्ति

भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने शुक्रवार (21 फरवरी) को मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के संबंधित विभाग और एजेंसियां USAID की गतिविधियों की बारीकी से जांच कर रही हैं। उन्होंने कहा,
“हमने अमेरिकी प्रशासन द्वारा USAID की कुछ गतिविधियों और वित्त पोषण के बारे में जानकारी देखी है। ये बेहद चिंताजनक हैं। इससे भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप को लेकर गंभीर चिंताएं उठी हैं।”

जायसवाल ने आगे कहा कि भारतीय अधिकारी इस मामले की पूरी तरह जांच कर रहे हैं और जल्द ही इसकी विस्तृत जानकारी साझा की जाएगी

कैसे उठा विवाद?

इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बाइडन प्रशासन द्वारा भारत में चुनाव संबंधी गतिविधियों के लिए $21 मिलियन की मंजूरी पर सवाल उठाए।

20 फरवरी को मियामी में FII प्रायोरिटी समिट में ट्रंप ने इस फंडिंग की आलोचना करते हुए कहा कि विदेशों में इस तरह की चुनावी फंडिंग की क्या जरूरत है?

इसके बाद अमेरिकी सरकारी निकाय DOGE (Department of Government Efficiency), जो एलन मस्क द्वारा समर्थित है, ने 16 फरवरी को इस $21 मिलियन की सहायता को आधिकारिक रूप से रद्द कर दिया। DOGE ने बांग्लादेश में राजनीतिक तंत्र को मजबूत करने के लिए $29 मिलियन और नेपाल में ‘राजकोषीय संघवाद’ के लिए $20 मिलियन की सहायता भी रद्द कर दी

बांग्लादेश में भी USAID की भूमिका पर सवाल

भारत के अलावा बांग्लादेश में भी USAID की गतिविधियों को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। कहा जा रहा है कि बाइडन प्रशासन के तहत USAID ने बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार को हटाने में अप्रत्यक्ष भूमिका निभाई। इस विवाद के चलते बांग्लादेश में अब USAID की सभी सहायता कार्यक्रमों को निलंबित कर दिया गया है

भारत की जांच जारी, आगे की कार्रवाई पर नजर

भारत सरकार ने इस मामले को राष्ट्रीय संप्रभुता और चुनावी प्रक्रिया में विदेशी हस्तक्षेप के रूप में देखा है। इस मुद्दे पर आंतरिक समीक्षा जारी है और आने वाले हफ्तों में सरकार इस पर और स्पष्टता दे सकती है।

यह मामला भारत-अमेरिका संबंधों के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह विदेशी संगठनों के भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने की बढ़ती प्रवृत्ति को उजागर करता है।

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