महाकुंभ: भारी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति के बावजूद गंगा का जल प्रदूषित नहीं – वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार सोनकर

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समग्र समाचार सेवा
प्रयागराज,24 फरवरी।
महाकुंभ 2025 के दौरान करोड़ों श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए उमड़ रहे हैं, लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार, इतनी बड़ी संख्या में स्नान करने के बावजूद गंगा का जल प्रदूषित नहीं हुआ है। यह दावा किया है वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार सोनकर ने, जिन्होंने अपने शोध के आधार पर गंगा जल की गुणवत्ता का परीक्षण किया।

वैज्ञानिक अध्ययन में हुआ बड़ा खुलासा

डॉ. अजय कुमार सोनकर और उनकी टीम ने महाकुंभ के दौरान गंगा के जल का वैज्ञानिक परीक्षण किया और पाया कि पानी की गुणवत्ता में कोई विशेष गिरावट नहीं आई है। उनके अनुसार, गंगा का पानी अपनी स्वाभाविक शुद्धिकरण क्षमता के कारण प्रदूषित नहीं होता

गंगा के जल की शुद्धता के पीछे के कारण

  1. गंगा जल की स्वच्छता बनाए रखने वाली प्राकृतिक विशेषताएँ

    • वैज्ञानिक परीक्षणों से पता चला है कि गंगा जल में बैक्टीरियोफेज नामक विशेष प्रकार के वायरस होते हैं, जो हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं और जल को शुद्ध बनाए रखते हैं।
    • इस गुण के कारण गंगा का पानी लंबे समय तक खराब नहीं होता
  2. तेज जल प्रवाह और ऑक्सीजन का उच्च स्तर

    • गंगा का प्रवाह तेज़ होने के कारण उसमें प्राकृतिक रूप से ऑक्सीजन की मात्रा अधिक बनी रहती है, जिससे जल में अशुद्धियाँ जमा नहीं हो पातीं।
    • प्रवाह जितना तेज़ होगा, पानी उतना ही स्वच्छ रहेगा।
  3. श्रद्धालुओं की आस्था और प्रशासन की पहल

    • इस बार महाकुंभ में प्रशासन ने गंगा की सफाई को लेकर कड़े कदम उठाए हैं
    • स्नान के बाद गंगा में किसी भी तरह का कचरा या गंदगी न फैले, इसके लिए स्वच्छता अभियान और जागरूकता कार्यक्रम चलाए गए

वैज्ञानिकों की राय और आगे की योजना

डॉ. सोनकर के अनुसार, महाकुंभ के दौरान गंगा जल की शुद्धता को बनाए रखने के लिए प्रशासन और श्रद्धालुओं को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगर गंगा के किनारों पर कचरे और रासायनिक प्रदूषण को रोका जाए, तो गंगा जल प्राकृतिक रूप से हमेशा शुद्ध बना रहेगा

निष्कर्ष

वैज्ञानिक शोध और विश्लेषण बताते हैं कि गंगा जल में अद्भुत शुद्धिकरण क्षमता है और यह भारी भीड़ के बावजूद अपनी स्वच्छता बनाए रखता है। महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन के दौरान भी गंगा जल की गुणवत्ता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है। यह आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से गंगा की पवित्रता और विलक्षण विशेषताओं को प्रमाणित करता है

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