“मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक बनें”: राष्ट्रपति मुर्मू ने अधिकारी प्रशिक्षुओं से कहा

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,25 फरवरी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 24 फरवरी 2025 को भारतीय लेखा एवं लेखा परीक्षा सेवा (IA&AS), भारतीय रेलवे सुरक्षा बल सेवा (RPF), भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (लेखा) और भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (यातायात) के अधिकारी प्रशिक्षुओं से मुलाकात की। यह संवाद राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया गया, जहां राष्ट्रपति ने उन्हें अपने दायित्वों को पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ निभाने के लिए प्रेरित किया।

राष्ट्र निर्माण में भूमिका

राष्ट्रपति मुर्मू ने भारतीय लेखा एवं लेखा परीक्षा सेवा के प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य की ओर बढ़ने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों का पालन करने पर जोर दिया, जो नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) संस्था की आधारशिला हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारी केवल निरीक्षक या नियंत्रक न बनें, बल्कि वे विभिन्न हितधारकों के मार्गदर्शक भी बनें और नवाचारपूर्ण समाधान प्रस्तुत करें।

रेलवे सेवाओं की महत्ता

भारतीय रेलवे सेवा के अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि रेलवे देश की आर्थिक प्रगति और गतिशीलता की रीढ़ है। रेलवे न केवल माल और यात्री परिवहन का माध्यम है, बल्कि यह करोड़ों लोगों के दैनिक जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है। उन्होंने अधिकारियों से दक्षता बढ़ाने और रेलवे सेवाओं की प्रभावशीलता को सुधारने में परिवर्तनकारी भूमिका निभाने का आह्वान किया।

युवा अधिकारियों को संदेश

राष्ट्रपति मुर्मू ने अधिकारी प्रशिक्षुओं से कहा कि वे अपने कार्यक्षेत्र में मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक (Friend, Philosopher, and Guide) की भूमिका निभाएं। उन्होंने उन्हें अनुशासन, ईमानदारी और सेवा भावना के साथ कार्य करने की प्रेरणा दी, जिससे वे न केवल सरकारी तंत्र को मजबूत कर सकें बल्कि आम नागरिकों के जीवन को भी सरल और सुगम बना सकें।

निष्कर्ष

इस संवाद का उद्देश्य युवा अधिकारियों को उनके कार्यक्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए प्रेरित करना था। राष्ट्रपति ने उन्हें ईमानदारी, नवाचार और सेवा भावना के साथ कार्य करने की सीख दी, ताकि वे अपनी जिम्मेदारियों को न केवल एक अधिकारी के रूप में, बल्कि समाज के सच्चे मार्गदर्शक के रूप में निभा सकें।

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