संजय निरुपम का दावा, मुंबई कांग्रेस गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रही है

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समग्र समाचार सेवा
मुंबई ,8 मार्च।
शिवसेना नेता संजय निरुपम ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि मुंबई कांग्रेस गंभीर वित्तीय संकट के कगार पर है और पार्टी कार्यालय का किराया व बिजली बिल तक चुकाने में असमर्थ हो गई है जिससे उसकी स्थिति बेहद दयनीय हो चुकी है। कांग्रेस के पूर्व राज्य अध्यक्ष रहे निरुपम जो विधानसभा चुनावों से पहले एकनाथ शिंदे के खेमे में शामिल हो गए थे, उन्होंने इस संकट के लिए कांग्रेस नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया है।

संजय निरुपम ने दावा किया कि मुंबई कांग्रेस की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि उसका अस्तित्व समाप्त होने के करीब है। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र सरकार के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की संपत्ति में संचालित होने वाले कांग्रेस कार्यालय का वर्षों से किराया नहीं चुकाया गया है जिसके कारण अब तक ₹18 लाख की बकाया राशि हो चुकी है। इसके अलावा, बिजली बिल ₹5 लाख तक पहुंच चुका है जिसके कारण कार्यालय की बिजली भी काट दी गई है।

निरुपम ने आगे कहा कि मुंबई कांग्रेस के कर्मचारियों को पिछले नौ से दस महीनों से वेतन तक नहीं मिला है और पार्टी पूरी तरह से निष्क्रिय हो चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं है और उसकी स्थिति “साइलेंट मोड” में चली गई है जिससे कार्यकर्ताओं में भारी असंतोष व्याप्त है।

राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए संजय निरुपम ने कहा कि राहुल गांधी मुंबई में एक कांग्रेस नेता के रूप में नहीं बल्कि एक यूट्यूबर के रूप में आए थे और धारावी में वीडियो शूट करने में व्यस्त रहे। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जब मुंबई कांग्रेस अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है तब पार्टी के शीर्ष नेता वीडियो बनाने में व्यस्त हैं। इसके अलावा, उन्होंने उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) के साथ कांग्रेस के गठबंधन को एक रणनीतिक भूल बताया जिससे महाराष्ट्र में कांग्रेस कमजोर हो गई है।

निरुपम ने चेतावनी दी कि जिस प्रकार कांग्रेस उत्तर प्रदेश और बिहार में राजनीतिक हाशिए पर चली गई है, उसी प्रकार महाराष्ट्र में भी जल्द ही उसका यही हाल होने वाला है।

यह बयान ऐसे समय में आया है जब हाल ही में हर्षवर्धन सपकाल ने महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार संभाला है। इससे पहले नाना पटोले ने विधानसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। 2024 के चुनावों में भाजपा-शिवसेना-एनसीपी (महालगठबंधन) ने 288 में से 235 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) को करारी हार मिली थी और कांग्रेस केवल 16 सीटों पर सिमट गई थी।

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