तमिलनाडु सरकार और केंद्रीय मंत्री के बीच शिक्षा नीति पर विवाद

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,11 मार्च।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के उस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिसमें प्रधान ने राज्य सरकार को ‘बेईमान’ और छात्रों के भविष्य को ‘बर्बाद’ करने वाला बताया था। स्टालिन ने प्रधान को ‘अहंकारी राजा’ बताते हुए उन्हें अपनी भाषा पर नियंत्रण रखने की सलाह दी है।

यह विवाद लोकसभा में पीएम स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (PM SHRI) योजना पर चर्चा के दौरान उठा, जब प्रधान ने तमिलनाडु सरकार पर आरोप लगाया कि उसने इस योजना को लागू करने में अपना रुख बदल लिया है, जिससे राज्य के छात्रों का भविष्य खतरे में है। प्रधान ने कहा कि राज्य सरकार राजनीति कर रही है और छात्रों के हितों की अनदेखी कर रही है।

इसका जवाब देते हुए स्टालिन ने प्रधान को ‘अहंकारी राजा’ कहकर यह कहा कि उन्हें अपनी जुबान पर नियंत्रण बनाए रखना चाहिए। उन्होंने प्रधान से सवाल किया, “क्या केंद्रीय मंत्री तमिलनाडु के सांसदों को ‘असभ्य’ कहते हैं, जबकि राज्य के छात्रों के लिए फंड जारी नहीं किए जा रहे?”

स्टालिन ने यह भी स्पष्ट किया कि तमिलनाडु सरकार ने केंद्र की PM SHRI योजना को लागू करने से इनकार किया है, और इस मुद्दे पर कोई और चर्चा नहीं की जाएगी। उन्होंने प्रधान से केवल यह जवाब देने को कहा कि क्या केंद्रीय सरकार ने तमिलनाडु के छात्रों के लिए एकत्रित फंड जारी किया है या नहीं।

DMK सांसदों ने लोकसभा में प्रधान के बयान के बाद विरोध प्रदर्शन किया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही करीब 30 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी। प्रधान ने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने पहले PM SHRI योजना पर हस्ताक्षर करने पर सहमति जताई थी, लेकिन अब उसने अपना रुख बदल दिया है। उन्होंने अन्य गैर-BJP शासित राज्यों का उदाहरण देते हुए आरोप लगाया कि वे राजनीति कर रहे हैं और छात्रों के भविष्य से खेल रहे हैं।

स्टालिन ने प्रधान के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि DMK सरकार जनता की राय का सम्मान करती है, जबकि बीजेपी नेता ‘नागपुर’ से निर्देशित हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केंद्रीय मंत्री ने तमिलनाडु को धोखा दिया है और राज्य के लोगों का अपमान किया है।

यह विवाद तमिलनाडु सरकार और केंद्र के बीच बढ़ते मतभेदों को उजागर करता है, विशेष रूप से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) और PM SHRI योजना के कार्यान्वयन को लेकर। राज्य सरकार ने NEP और तीन भाषा नीति का विरोध किया है, जबकि केंद्र सरकार इनका समर्थन करती है। यह राजनीतिक विवाद राज्य के शैक्षणिक भविष्य पर गहरा प्रभाव डाल सकता है, क्योंकि दोनों पक्ष अपने-अपने दृष्टिकोण पर अडिग हैं।

कुल मिलाकर, तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच यह तकरार शिक्षा क्षेत्र में नीतिगत मतभेदों और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का प्रतीक बन गई है, जो राज्य के छात्रों के भविष्य को लेकर चिंताएं बढ़ा रही है।

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